जानिए World Drummer Day पर भारतीय महिला ड्रमर की यात्रा

भारत में महिला ड्रमर की यात्रा बहुत आसान नहीं हैं। पित्रसत्ता से घिरा यह संगीत का क्षेत्र जहां महिलाओं का संगीत सिर्फ घर तक ही सीमित था। इसे तोड़ कर भारतीय महिलाओं ने तबले पर अपनी ताल दी हैं। आइए, जानते हैं

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भारत को महिला तबला वादक से मिलने का सफर

महिलाओं को संगीत में भी कई मान्यताओं और धारणाओं का सामना करना पड़ता था। भारतीय महिलाओं ने इसको तोड़ा और आगे बढ़ी। भारत की ऐसी महिलाएं जो इंटरनेशनल लेवल पर आई संगीत में सामने हैं।

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अनुराधा पाल: पहली पेशेवर तबला वादक

भारत में तबले के की रूप हैं क्योंकि भारतीय संगीत में इंस्ट्रूमेंट सिर्फ कुछ ही नहीं, बहुत अधिक हैं। इन्होंने भारत ही नहीं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी संगीत में अपनी कला से जगह बनाई हैं।

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सारा थावर: कनाडाई-भारतीय ड्रमर

सारा थावर भारतीय तालों को वेस्टर्न ड्रम सेट पर प्रस्तुत करती हैं। उनका काम कॉनटेम्पररी और ट्रडिशनल म्यूजिक का मिक्स काम्पज़िशन हैं।

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जहन गीत सिंह: पित्रसत्ता को देती चुनौती

पंजाब का संगीत और ताल भारतीय को हमेशा से लुभाता रहा हैं। जहान गीत सिंह 12 साल से तबले की अपनी धुन से भारतीयों का मन लुभा रही हैं। अब उन्होंने 21 साल तक पूरे भारतीयों को गौरान्वित किया हैं।

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लोक संगीतकार: पारंपरिक संगीत सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं

भारत के राज्यों में कल्चर सिर्फ पित्रसत्तामाक तक नहीं मात्रतत्व तक भी हैं।

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भारतीय महिला: हर घर में बसता हैं तबलावादक

भारत में तबला घरों में ढोलक से शुरू होता हैं। भारत की शादियाँ महिलाओं की इस ढोलक की ताल के बिना अधूरी हैं।

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हर ताल हैं पूरी जब संगीत वादक हो लिंग भेदभाव से परे

भारत में संगीत लिंग भेदभाव से कोशों दूर हैं। यह संगीत आत्मा से जुड़ा हैं न की बॉडी कान्सेप्ट से। भारत में महिला संगीत वादकों की यात्रा आसान तो नहीं क्योंकि बनी बनाई परंपरा तोड़ना आसान नहीं था। अब भारत में महिला संगीत वादक देश की ही नहीं अन्तराष्ट्रीय स्तर की पसंदीदा संगीत वादक हैं।

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