I'm Rajveer Kaur, a feminist advocating for human secularism, and I'm deeply passionate about Media & Journalism.
जब कोई व्यक्ति इमोशनली, मेंटली और फिजिकली थकान महसूस करता है, उसमें काम करने की क्षमता नहीं बचती है। दूसरों की उसके प्रति अपेक्षा को भी वह पूरा नहीं कर पाता है। इसके साथ ही काम का बोझ बढ़ता रहता है।
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