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आज के बच्चों की परवरिश में नारीवादी पिता की ज़रूरत

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Swati Bundela
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आजकल के इस आधुनिक समय में जहां महिलाएं और पुरुष सामान है , वही एक बच्चे की परवरिश में दोनों ही चाहे वो माता हो या पिता एहम भमिका निभाते है, बराबर कार्य करते हैं और ये भी सबित करते है की चाहे वो बच्चा लड़का हो या लड़का दोनों ही एकसमान प्रेम के हक़दार है.

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भारत जैसे पुरुषप्रधान समाज में नारीवादी पिता एक एहम भूमिका निभाते है वह बताते हैं की लड़का और लड़की हर तरह से एक सामान है । माँ बाप के फ़र्ज़ हर बच्चे के लिए यह है की उसे सही समझ और अच्छे संस्कार देकर एक सफल इंसान बनाना और यह तभी हो सकता है जब सभी के लिए सामान अधिकार हो।

नई पीड़ी को सफल बनाने में

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आजकल के समय में जहां हर कोई एक व्यवस्थित वातावरण का सामना कर रहा है , सब एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में लगे हुए है वही अपने बच्चों को उचित समय देना और यह समझना की एक बच्चे के जीवन में माता और पिता दोनों ही एहम भूमिका निभाते है उनके एक सफल मनुष्य बनने की तरफ। बच्चों को यह समझाना की दूसरा लिंग भी सामान महत्व रखता है, कोई किसी से ज़्यादा ताकतवर नहीं है बल्कि बराबर है और उन्हें सभी की सोच का सम्मान करना चाहिए। अगर बच्चों में सही संस्कार दिए जाए तो ही एक सफल पीड़ी का निर्माण हो सकता है।

समाज की बनाये पुराने रूढ़िवादी बातों को खत्म करने के लिए 

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आजकल की लडकियां हर कार्य कर सकती है । पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती है बस ज़रूरत है तो उनका मनोबल बढ़ाने की उनको खुद पर यककेँ दिलाने की जो एक नारीवादी पिता ही कर सकते है, वही समझ सकता है की कैसे एक नन्ही कली अपने सपनो को हासिल करती है । ऐसे बहुत से क्षेत्र है जहां अभी भी लड़कियों को सामान अधिकार नहीं मिलते है और वही हमारे देश की तरक्की रुक जाती है ।तो अगर हम एक सफल देश का निर्माण करना चाहते है तो आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है नारीवादी पिता जो समझ सके की सभी ज़रूरी है।

हिंसा को ख़त्म करने में मदद करता है

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आजकल समाज में महिलाओं के प्रति इतने अपराध बड़ गए है क्यूंकि लड़कों को यही सोच मिली हुई है की वो ताक़तवर है तो वो कुछ भी कर सकते है , किसी के साथ कुछ भी और कही भी क्यूंकि उन्हें बचपन से इसी तरह के माहौल में ऐसी सोच के साथ रोपा जाता है ।एक नारीवादी पिता ही बच्चों को सही सोच और संस्कारो की समझ दे सकता है की हर कोई सामान है और हमे किसीको बिना तकलीफ पहुंचाए दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए ।



 
#फेमिनिज्म
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