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कविता देवी की डब्ल्यूडब्ल्यूई यात्रा दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा है

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Swati Bundela
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माई यंग क्लासिक टूर्नामेंट के पहले दौर में बाहर हो जाने के बावजूद कविता
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देवी की डब्ल्यूडब्ल्यूई उपस्थिति बहुत खास है. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस तरह के एक लोकप्रिय खेल में देश का प्रतिनिधित्व करना किसी भी तरह से छोटी उपलब्धि नहीं है. देवी ने जो किया है वह अब तक कोई भी भारतीय महिला नहीं कर सकी है और वह भी दो बार. उसने अपनी कुश्ती कौशल के ज़रिये न सिर्फ लोगों का ध्यान आकर्षित किया है बल्कि प्रशंसक भी बनायें है.  लेकिन कविता देवी दलाल का डब्ल्यूडब्ल्यूई (वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट) में भारतीय होते हुये पहुंचना अपने आप में प्रभावशाली है क्योंकि वह पहली महिला भारतीय पहलवान है जो वहां पहुंची है.



उन्होंने जनवरी 2018 में प्रदर्शन केंद्र में प्रशिक्षण लेना शुरू किया और सबसे पहले रेसलमेनिया 34 में हिस्सा लेकर अपनी उपस्थिती दर्ज कराई.
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जबकि भारत में महिलाओं को नियमित नौकरियों के लिये भी संघर्ष करना पड़ता है, देवी ने इस तरह के एक अपरंपरागत पेशे को चुना और शीर्ष स्तर पर पहुंची.

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उनकी सहनशक्ति और जीवन यात्रा, युवा लड़कियों को प्रेरणादायक और प्रोत्साहित करती है. उन्होंने साबित किया है कि यदि आप अपने सपनों को पाने के लिये प्रयास करते है तो आप उन्हें निश्चित रूप से प्राप्त कर सकते हैं.



कुछ बातें जो आपको उनके बारें में पता होनी चाहिए -:

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  • कविता देवी डब्ल्यूडब्ल्यूई कुश्ती में जाने वाली पहली भारतीय महिला पेशेवर पहलवान है.


  • उन्होंने 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में 75 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.


  • उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई में भाग लेने के लिए द ग्रेट खली से भी प्रशिक्षिण प्राप्त किया.


  • भारत से बहुत ज्यादा पहलवान विशेष रूप से महिलाएं डब्ल्यूडब्ल्यूई या किसी अन्य कमर्शियल कुश्ती के किसी भी रुप में भाग लेती है.




पिछले साल डकोटा काई से हुये एक मुकाबले में देवी ने भगवा सलवार कमीज पहन रखी थी और वह दुपट्टे को कमर के चारों ओर बांधे हुये थी. इस साल देवी एक मुकाबले में अपने माथे पर एक बड़ी नीली बिंदी लगाकर मैदान पर उतरी. वह सलवार कमीज पहन कर या फिर माथे पर बिंदी लगा कर उतरती है लेकिन उनका कौशल अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है. यह बहस का विषय नही है कि देवी ने अपने आप को साबित कर दिया है.



जहां तक जीतने या हारने की बात है तो  हमें यकीन है कि देवी अगले वर्ष टूर्नामेंट के आगे के दौर में जायेंगी. उन्होंने 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में 75 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता है. हार या जीत, डब्ल्यूडब्ल्यूई महिलाओं की कुश्ती में प्रवेश कर देवी ने हमें गर्व महसूस कराया है.
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