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दो युवा भारतीय महिलाएं इतिहास लिखने के लिये तैयार है. वो एक मोटर ग्लाइडर विमान को लेकर तीन महाद्वीपों की सैर करेंगी और 100 दिनों में 40,000 किमी का सफर तय करने जा रही है. इन पायलटों द्वारा एक विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है जो कि पूरी तरह से महिलाओं का गैर-वाणिज्यिक नागरिक अभियान के तौर पर याद किया जायेंगा.
दोनों -अरोही पंडित (22) और कीथियर मिस्क्विटा (23) – पहली भारतीय पायलट है जो “माही” नाम के मोटर ग्लाइडर को उड़ाने के लिये तैयार है. "द वी" अभियान को सोशल एक्सेस कम्युनिकेशन ने बताया है और नेवी ब्लू फाउंडेशन, एयरोसॉर्स इंडिया और नेक्सस इसे संचालित कर रहे है.
इस विचार ने डेढ़ साल पहले आकार लिया था. और यह जानने के लिए कि द वी! अभियान ने उड़ान भरने का फैसला कैसे और क्यों किया SheThePeople.TV ने उनसे बात की. उन्होंने बताया, "उड़ान प्रतीक है मुक्ति और सशक्तिकरण का और जब आप युवा महिला पायलटों के साथ जोड़ दिये जाते हैं, तो संदेश और भी आकर्षक बन जाता है."
अभियान दल ने महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी से भी संपर्क किया जिन्होंने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं’ अभियान को बढ़ावा देने के लिए टीम के साथ सहयोग किया. इस अभियान के माध्यम से यह संस्था देश के 110 शहरों और कस्बों में योग्य लड़कियों को छात्रवृत्तियां प्रदान करने का लक्ष्य रख रही है, जिन्हें विमानन प्रशिक्षण प्राप्त करने का मौका मिलेंगा.
उसने कहा, “आरोही पांच साल की उम्र से ही पायलट बनना चाहती थी. उसी वक़्त उसने महिला पायलट को पहली बार देखा था. "तब मैंने फैसला किया कि मैं भी एक पायलेट बनना चाहती हूं और अपना खुद का विमान चलाना चाहती हूं.” उसने कहा।
कीथैयर के पिता की इच्छा थी कि जो उसने पूरी की और फिर खुद भी पसंद करने लगी. उन्होंने बताया, "मैं 16 वर्ष की थी, जब मेरे पिता ने मुझ से कहा कि वह चाहते है कि मैं पायलेट बनूं. मैंने सहमति व्यक्त कर दी और भले ही मैं पहली बार डर गई. लेकिन उसके बाद जब मैं एक बार अपनी पहली उड़ान पर गई, तो वहां से पीछे मुड़ कर नहीं देखा."
दोनों लड़कियां दो सीट वाले विमानों पर दुनिया का अनुभव करने को लेकर रोमांचित हैं, जो वे खुद भी उड़ायेंगी. आरोही ने कहा, "जब हमने पहली बार इसके बारे में सुना, तो हम इतना उत्साहित थे कि ऐसा कुछ भारत में होने वाला है. और जब नैवी ब्लू फाउंडेशन ने हमें इस मिशन पर जाने के लिये पायलट बनने के लिए संपर्क किया, तो हमने फौरन मौकें का फायदा उठाया. "
कीथैयर ने कहा, "यह उन मौकों में से एक जो जीवन में एक बार ही आते है दोबारा दस्तक नहीं देते और हमें पता था कि हमें इसे लेना ही है. हम डर नही रहे है, बल्कि थोड़ा असहज है कि आगे क्या होना है. लेकिन हमें मालूम है कि हमारे पास एक ठोस स्पोर्ट सिस्टम है जिसमें सलाहकार, हमारी यात्रा सहायता टीम और हमारे माता-पिता शामिल है. बस हमें अपने काम पर पूरी तरह से ध्यान लगाना है. "
अभियान से उनकी अपेक्षाओं के बारे में बात करते हुए इन लड़कियों ने कहा, "हम एक समय में एक लैग कर रहे है. हर एक लैग में बहुत तैयारी और योजना की जरुरत होती है. आप हाथ में काम लेकर उसके बारे में नही सोच सकते है और बिंदु ए से बिंदु बी तक पहुंचने में आपको विभिन्न चीज़ों को आवश्यकता होती है.
एक छोटे, हल्के, कम उड़ने वाले विमान (हम 10,000 फीट से ऊपर नहीं उड़ सकते हैं) पर यात्रा करते हुए, हम बहुत उत्साहित हैं कि हमें दुनिया को उपर से देखने का मौका मिलेंगा. जब हम जमीन पर होंगे तो हमें विभिन्न जगहों पर यात्रा करने के लिए अधिक समय नहीं मिलेगा. लेकिन जहां भी जायेंगे वहां पर हम पूरी कोशिश करेंगे कि वहां पर कुछ नया अनुभव करना चाहेंगे. व्यक्तिगत तौर पर भी हम पिछले चार साल से अच्छे दोस्त रहे हैं और यह आपके लिये सबसे मज़ेदार सड़क यात्रा की तरह है!"
उनसे पूछे जाने पर कि यह यात्रा उनके लिए क्या मायने रखती है, उन्होंने कहा, "एक्सपीडिशन अब तक हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात है और हम इसे सिर्फ अपने लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि दुनिया को दिखाने के लिए कि हम भारतीय लड़कियों किस चीज़ से बनी होती है. हमारा सबसे महत्वपूर्ण मिशन है कि हम द वी! उड़ान छात्रवृत्ति के लिये फंड इकठ्ठा कर रहे है. इन पैसों से हमारे देश के छोटे शहरों की सैकड़ों लड़कियों को विमानन में करियर बनाने में मदद मिलेंगी - चाहे वह पायलट हो या इंजीनियर या तकनीशियन हो. "
पूरी टीम लड़कियों की सुरक्षा का ख्याल रख रही है जहां भी वह पहुंचती है. टीम वी ने कहा, "सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने जिस विमान को चुना है, वह पहले से ही एक सर्कमनेविगेशन कर चुका है (अनुभवी एविएटर मातेवज़ लेनारकिक द्वारा) - वह सुरक्षित, मजबूत, भरोसेमंद है और बैलिस्टिक पैराशूट सिस्टम से लैस है और केवलर कंपोजिट्स से बना है. "
"और फिर, वास्तविक एक्सपीडिशन के लिए, हमारे पास अनुभवी नेक्सस फ्लाइट आप्रेशन की टीम है जो हमें यात्रा में दुनियाभर में सहयोग करेंगी और उड़ान योजना को भी संभालेंगी."
हम दोनों पायलटों को सलाम करते हैं और कामना करते है कि सर्कमनेविगेशन को पूरा करने के बाद वह सुरक्षित वापस आयेंगी.
दोनों -अरोही पंडित (22) और कीथियर मिस्क्विटा (23) – पहली भारतीय पायलट है जो “माही” नाम के मोटर ग्लाइडर को उड़ाने के लिये तैयार है. "द वी" अभियान को सोशल एक्सेस कम्युनिकेशन ने बताया है और नेवी ब्लू फाउंडेशन, एयरोसॉर्स इंडिया और नेक्सस इसे संचालित कर रहे है.
इस विचार ने डेढ़ साल पहले आकार लिया था. और यह जानने के लिए कि द वी! अभियान ने उड़ान भरने का फैसला कैसे और क्यों किया SheThePeople.TV ने उनसे बात की. उन्होंने बताया, "उड़ान प्रतीक है मुक्ति और सशक्तिकरण का और जब आप युवा महिला पायलटों के साथ जोड़ दिये जाते हैं, तो संदेश और भी आकर्षक बन जाता है."
अभियान दल ने महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी से भी संपर्क किया जिन्होंने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं’ अभियान को बढ़ावा देने के लिए टीम के साथ सहयोग किया. इस अभियान के माध्यम से यह संस्था देश के 110 शहरों और कस्बों में योग्य लड़कियों को छात्रवृत्तियां प्रदान करने का लक्ष्य रख रही है, जिन्हें विमानन प्रशिक्षण प्राप्त करने का मौका मिलेंगा.
उसने कहा, “आरोही पांच साल की उम्र से ही पायलट बनना चाहती थी. उसी वक़्त उसने महिला पायलट को पहली बार देखा था. "तब मैंने फैसला किया कि मैं भी एक पायलेट बनना चाहती हूं और अपना खुद का विमान चलाना चाहती हूं.” उसने कहा।
कीथैयर के पिता की इच्छा थी कि जो उसने पूरी की और फिर खुद भी पसंद करने लगी. उन्होंने बताया, "मैं 16 वर्ष की थी, जब मेरे पिता ने मुझ से कहा कि वह चाहते है कि मैं पायलेट बनूं. मैंने सहमति व्यक्त कर दी और भले ही मैं पहली बार डर गई. लेकिन उसके बाद जब मैं एक बार अपनी पहली उड़ान पर गई, तो वहां से पीछे मुड़ कर नहीं देखा."
दोनों लड़कियां दो सीट वाले विमानों पर दुनिया का अनुभव करने को लेकर रोमांचित हैं, जो वे खुद भी उड़ायेंगी. आरोही ने कहा, "जब हमने पहली बार इसके बारे में सुना, तो हम इतना उत्साहित थे कि ऐसा कुछ भारत में होने वाला है. और जब नैवी ब्लू फाउंडेशन ने हमें इस मिशन पर जाने के लिये पायलट बनने के लिए संपर्क किया, तो हमने फौरन मौकें का फायदा उठाया. "
एक्सपीडिशन अब तक हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात है और हम इसे सिर्फ अपने लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि दुनिया को दिखाने के लिए कि हम भारतीय लड़कियों किस चीज़ से बनी होती है.
कीथैयर ने कहा, "यह उन मौकों में से एक जो जीवन में एक बार ही आते है दोबारा दस्तक नहीं देते और हमें पता था कि हमें इसे लेना ही है. हम डर नही रहे है, बल्कि थोड़ा असहज है कि आगे क्या होना है. लेकिन हमें मालूम है कि हमारे पास एक ठोस स्पोर्ट सिस्टम है जिसमें सलाहकार, हमारी यात्रा सहायता टीम और हमारे माता-पिता शामिल है. बस हमें अपने काम पर पूरी तरह से ध्यान लगाना है. "
अभियान से उनकी अपेक्षाओं के बारे में बात करते हुए इन लड़कियों ने कहा, "हम एक समय में एक लैग कर रहे है. हर एक लैग में बहुत तैयारी और योजना की जरुरत होती है. आप हाथ में काम लेकर उसके बारे में नही सोच सकते है और बिंदु ए से बिंदु बी तक पहुंचने में आपको विभिन्न चीज़ों को आवश्यकता होती है.
एक छोटे, हल्के, कम उड़ने वाले विमान (हम 10,000 फीट से ऊपर नहीं उड़ सकते हैं) पर यात्रा करते हुए, हम बहुत उत्साहित हैं कि हमें दुनिया को उपर से देखने का मौका मिलेंगा. जब हम जमीन पर होंगे तो हमें विभिन्न जगहों पर यात्रा करने के लिए अधिक समय नहीं मिलेगा. लेकिन जहां भी जायेंगे वहां पर हम पूरी कोशिश करेंगे कि वहां पर कुछ नया अनुभव करना चाहेंगे. व्यक्तिगत तौर पर भी हम पिछले चार साल से अच्छे दोस्त रहे हैं और यह आपके लिये सबसे मज़ेदार सड़क यात्रा की तरह है!"
"उड़ान प्रतीक है मुक्ति और सशक्तिकरण का और जब आप युवा महिला पायलटों के साथ जोड़ दिये जाते हैं, तो संदेश और भी आकर्षक बन जाता है."
उनसे पूछे जाने पर कि यह यात्रा उनके लिए क्या मायने रखती है, उन्होंने कहा, "एक्सपीडिशन अब तक हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात है और हम इसे सिर्फ अपने लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि दुनिया को दिखाने के लिए कि हम भारतीय लड़कियों किस चीज़ से बनी होती है. हमारा सबसे महत्वपूर्ण मिशन है कि हम द वी! उड़ान छात्रवृत्ति के लिये फंड इकठ्ठा कर रहे है. इन पैसों से हमारे देश के छोटे शहरों की सैकड़ों लड़कियों को विमानन में करियर बनाने में मदद मिलेंगी - चाहे वह पायलट हो या इंजीनियर या तकनीशियन हो. "
पूरी टीम लड़कियों की सुरक्षा का ख्याल रख रही है जहां भी वह पहुंचती है. टीम वी ने कहा, "सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने जिस विमान को चुना है, वह पहले से ही एक सर्कमनेविगेशन कर चुका है (अनुभवी एविएटर मातेवज़ लेनारकिक द्वारा) - वह सुरक्षित, मजबूत, भरोसेमंद है और बैलिस्टिक पैराशूट सिस्टम से लैस है और केवलर कंपोजिट्स से बना है. "
"और फिर, वास्तविक एक्सपीडिशन के लिए, हमारे पास अनुभवी नेक्सस फ्लाइट आप्रेशन की टीम है जो हमें यात्रा में दुनियाभर में सहयोग करेंगी और उड़ान योजना को भी संभालेंगी."
हम दोनों पायलटों को सलाम करते हैं और कामना करते है कि सर्कमनेविगेशन को पूरा करने के बाद वह सुरक्षित वापस आयेंगी.