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 एक कमांडो ट्रेनर बनाने की यात्रा, भारत की पहली महिला कमांडो ट्रेनर सीमा राव से मिलिए

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Swati Bundela
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सीमा राव की कहानी, समर्पण और जुनून की कहानी है. वह किसी ईश्वरीय शक्ति या प्रतिभा के साथ पैदा नही हुई थी लेकिन उन्होंने मेहनत के बल पर अपने आप को साबित किया और देश की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर बन गई. सीमा अपनी प्रतिभा के दम पर 75 गज की दूरी से इंसान के सिर पर रखे सेब को शूट कर सकती हैं.  चाकू से लड़ने में प्रशिक्षित वह कई हमलावरों के हमलों से बच सकती है. राव अकेले 100 लोगों की पूरी टीम को प्रशिक्षित और कमांड कर सकती है. उन्हें सैन्य मार्शल आर्ट्स (एमएमए) और इज़राइली क्राव मग में भी प्रशिक्षण लिया है. वह ब्रूस ली की जीट कुन डो (जेकेडी) की कला में दुनिया की सबसे वरिष्ठ महिला प्रशिक्षक भी है.

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राव अपने पिता की संघर्ष की कहानियों को सुनकर बड़ी हुई, क्योंकि वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी बातों ने उन्हें हमेशा आकर्षित किया. राव ने हमसे बातचीत में कहा, "वह अक्सर सोचा करती थी कि कैसे हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए अपना जीवन दे दिया, जिसे हम आनंद से जीते है और परवाह नही करते है."

 एक कमांडो ट्रेनर बनाने की यात्रा

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हालांकि, इस बात ने उन्हें कमांडो ट्रेनर बनने के लिए प्रेरित नही किया. 20 के दशक के शुरुआत में उन्होंने मेजर दीपक राव से विवाह कर लिया, जो पांचवे भारतीय थे स्वातंत्रता के बाद जिन्हें राष्ट्रपति रैंक पुरस्कार प्राप्त हुआ था. वह कहती है कि जीवन और भाग्य ने उन्हें अपनी शादी के कुछ समय बाद कमांडो ट्रेनर बना दिया. अपने ससुरालवालें से विवाद के बाद उन्हें मुंबई छोड़ना पड़ा और दोनों पति पत्नि पुणे चले गये.



सीमा ने बताया, "मैं और मेरे पति को आर्मी स्कूल ऑफ फिजिकल ट्रेनिंग, ब्रिगेडियर जीआरसी नायर के कमांडेंट के साथ मिलने का मौका मिला. उन्होंने हमें एएसपीटी में डेमो देने का अवसर दिया. ब्रिगेडियर जीआरसी नायर ने हमारे बारे में जो विचार प्रकट किये उसकी वजह से हमें डीजी एनएसजी ने निमंत्रण दिया और ब्लैक कैट्स एनएसजी के लिए एक मौका मिला."
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भविष्य में, राव सेनाओं के लिए एक प्रशिक्षण पुस्तिका लिखना चाहती है. वह डेयर (डिफेंस अगेंज़ट रेप एंड ईव टीजिंग) कार्यक्रम को भी लोकप्रिय बनाना चाहती है.



एनएसजी के कमांडेंट ने हमें दिल्ली में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से मिलने का मौका दिलाया. मैं सीओएएस से मिली, जो मुझसे और मेरे पति से प्रभावित हुये और हमने बैंगलोर में पैराशूट रेजिमेंट ट्रेनिंग सेंटर में छः सप्ताह के आर्मी कैडर की योजना बनाई, जो पैरा स्पेशल फोर्स को प्रशिक्षित करती है.”
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वह अपने पाठ्यक्रमों में शूटिंग डेमो देती है. सीमा ने बताया, "मेरे पति अपने सिर के ऊपर एक लक्ष्य रखते है. 75 गज की दूरी से, मैं लक्ष्य पर निशाना साधती हूं और पांच राउंड शूट करती हूं.  यह इतना लोकप्रिय हो गया कि कमांडो इकाइयों ने हमें अपने कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए आमंत्रित करना शुरु कर दिया. मैं अपने सिर पर लक्षित 9 मिमी पिस्तौल से निकल रही गोली से बच सकती हूं. मैं 2 सेकंड के अंदर पांच लक्ष्यों को गोली भी मार सकती हूं.”

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उनकी विशेषज्ञता



वह कमांडो युद्ध की कला- क्लोज क्वार्टर बैटल या सीक्यूबी में माहिर हैं. वही बताता है कि, इसमें अनियंत्रित मुकाबला, सशस्त्र मुकाबला, रिफ्लेक्स शूटिंग, टीम रणनीति और सीक्यूबी सिमुलेशन कमांडो एक्सकेर्सेस पर टीम शामिल है. जबकि इन बातों को सुनकर कोई भी भयभीत हो जाएगा, लेकिन राव इसे लेकर रोमांचित हो जाती हैं.

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क्यों है इनको पराजित करना मुश्किल



राव आगे हमें बताती हैं, "एक कमांडो ट्रेनर के रूप में, कौशल और प्रशिक्षण के अलावा, आपको विभिन्न पर्यावरण, इलाकों और जलवायु स्थितियों की चुनौतियों का सामना करना होता है और उसे अपने लिये आरामदायक बनाना होता है. इसलिए, मैंने गहरे पानी में आने वाली समस्याओं को समझने के लिए नौकायन और उसके साथ स्कूबा डाइविंग में एक पेशेवर पाठ्यक्रम भी किया. ऊंचाई पर पहुंचने और अत्यधिक ठंड में उत्पन्न चुनौतियों को समझने के लिए पर्वतारोहण में भी एक कोर्स किया.

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ऊंचाई को समझने के लिए, मैंने स्काइडाइविंग कोर्स भी किया. और मैंने मानव शरीर और मेडिसिन के बारे में भी जाना. अब मैं अस्तित्व और कमांडो प्रशिक्षण के विषय को बेहतर समझती हूं. इन कौशल को खुद के लिये आसान बनाना उतना सरल नही था. इसके लिये समर्पण और सीखने की गहरी इच्छा की आवश्यकता होती है."

पति के साथ काम करना



सीमा अपने पति के साथ एक टीम के रूप में काम करती है और वे दोनों अपने काम के माध्यम से एक दूसरे का सहयोग करते है. "हम अपने आप को एक दूसरे का पूरक मानते है. हमारे पास अपनी क्षमताएं हैं और एक दूसरे का साथ मिल जाने की वजह से हमारी क्षमता कई गुणा बढ़ जाती है. वह हमेशा बहुत ही सहायक और उत्साहजनक रहे है. जब भी मैं पराजित और निराशा महसूस करती हूं, तो वह मुझे बोलते है 'खड़े हो और लड़ो'. राव कहती हैं, "उन्होंने हमेशा मुझे बताया कि मुझे अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुंचना चाहिए."



उनकी साझेदारी के परिणामस्वरूप बहुत सी नयी चीज़े हुई है, एक शूटिंग विधि जो काफी सफल हुई हैं वह राव सिस्टम ऑफ रिफ्लेक्स फायर के नाम से जाती हैं. “यह विधि वर्षों के अनुसंधान, विभिन्न स्थानों की यात्रा और 20 से अधिक वर्षों तक विभिन्न बलों को प्रशिक्षण देने के बाद विकसित की गई है. तो संक्षेप में, यह भारतीय सेनाओं और बलों को फायदा पहुंचाने के लिये एक स्वदेशी नवाचार है. इसका इस्तेमाल विभिन्न काउंटर विद्रोह आप्रेशन में सीक्यूबी आधुनिकीकरण में मदद के लिए किया गया था. "

महिलाएं पुरुषों की तरह सक्षम हैं. यह सिर्फ एक आदमी का काम नहीं है, बल्कि हमारी भारत माता की सीमाओं की रक्षा के लिए एक महिला का काम भी है. ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक आदमी कर सकता है और औरत नहीं कर सकती. उचित प्रशिक्षण के साथ, एक महिला एक आदमी की तरह मजबूत हो सकती है.



कोमबेंट में जेंडर असामनता



भारतीय सेना में जेंडर असमानता के बारे में बात करते हुए, वह कहती हैं कि यह एक सार्वभौमिक समस्या है. "सदियों से लोगों में एक ही राय है. महिलाओं को अपनी सोच बदलनी है कि पुरुष श्रेष्ठ हैं और महिलाएं ऐसा करने में असमर्थ हैं जो एक आदमी कर सकता है. समय बदल रहा है. आज, महिलाएं सरकार, रक्षा और कॉर्पोरेट क्षेत्र में प्रमुख पदों पर पहुंच रही हैं. यह वह समय है जब महिलाओं को समान रूप से सक्षम और कुशल माना जाने लगा है."



हाल ही के वर्षों में सेना ने महिलाओं को बीएसएफ, सैन्य पुलिस बल और आईएएफ में भी आने के लिये प्रोत्साहित किया है.



" महिलाएं पुरुषों की तरह सक्षम हैं. यह सिर्फ एक आदमी का काम नहीं है, बल्कि हमारी भारत माता की सीमाओं की रक्षा के लिए एक महिला का काम भी है. ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक आदमी कर सकता है और औरत नहीं कर सकती. उचित प्रशिक्षण के साथ, एक महिला एक आदमी की तरह मजबूत हो सकती है. तो आज के युद्ध परिदृश्य में, महिला लड़ाकों की आवश्यकता है. हमारी रक्षा मंत्री निर्मलजी एक आदर्श उदाहरण है, जो एक महिला प्राप्त कर सकती है."



भविष्य में, राव सेनाओं के लिए एक प्रशिक्षण पुस्तिका लिखना चाहती है. वह डेयर (डिफेंस अगेंज़ट रेप एंड ईव टीजिंग) कार्यक्रम को भी लोकप्रिय बनाना चाहती है.



 
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