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रायपुर लॉ यूनिवर्सिटी की लड़कियां यौन उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ आदोंलन पर

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Swati Bundela
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रायपुर, छत्तीसगढ़ में हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की सैकड़ों छात्रायें कई मुद्दों को लेकर पिछले आठ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. इनमें प्रमुख है छात्राओं के लिए हॉस्टल में समय की पाबंदी को खत्म करना, छात्रावास के वार्डन को हटाना, वित्तीय अनियमितताओं को समाप्त करना, लाल फीताशाही, यूजीसी जनादेश, विश्वविद्यालय में फंड कटौती आदि शामिल हैं.

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आदोंलन की वजह



• महिला छात्राओँ का दावा है कि उन पर नैतिक मूल्यों को थोपा जा रहा है और समय की पाबंदी लगाई जा रही है.
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• यौन उत्पीड़न के मामलों में कथित रूप से विश्वविद्यालय लड़कियों को चुप करवा देता है. जिसका असर लड़कियों के अकादमिक करियर पर पड़ता है.
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• ग़लत तरीके से पूर्व वीसी के कार्यकाल को बढ़ाया गया, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था.
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• महिला छात्र स्वतंत्र वार्डन चाहती हैं.
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महिला हॉस्टल और मोरेल पुलिसिंग
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महिला छात्रों के बाहर निकलने पर पूर्ण नियंत्रण लगाने के कथित प्रयास में वार्डन द्वारा कारण बताओं नोटिस जारी करने की धमकी के बाद महिला छात्रावास में 23 अगस्त को विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ. एचएनएलयू में पांचवें वर्ष की छात्रा सौम्या रायजादा ने SheThePeople.TV को बताया, "लड़कियों के छात्रावास की वार्डन मोरल पुलिसिंग कर रही थी. वह लड़कियों को टारगेट कर रही थी और परिसर में कुछ तरह के कपड़े नही पहनने को कह रही थी. उसके बाद वह छात्राओं से कह रही थी कि वह कही भी जायें चाहे अपने घर भी तो छुट्टी के रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके ही जायें. वह रात में 1 बजे दरवाज़ा खटखटाकर भी हमारी जांच कर रही थी.  इस सब से यह महसूस हो रहा था कि हम किसी तरह की निगरानी में हैं."

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उन्होंने कहा, "एक और बात यह है कि परिसर शहर से 30 किमी दूर स्थित है, इसलिए यदि हम रात में देर से आने वाली ट्रेनों से आ रहे हैं और यहां तक ​​कि अगर हम उन्हें समय के बारे में पहले से ही बताते हैं, तो भी वह हमारे लिए दरवाज़े नही खोलती है, लड़कों के लिये ऐसे कोई नियम नहीं हैं. "

वाइस-चांसलर



27 अगस्त को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कुलपति डॉ. सुखपाल सिंह के कार्यकाल के विस्तार को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया, इसे अवैध नियुक्ति कहा. छात्र अब प्रशासन के खिलाफ शिकायतों की एक सूची के साथ परिसर में विरोध कर रहे है. वे वीसी की बहाली, लड़कियों और लड़कों के छात्रावासों और संकाय में असामनता और फैकल्टी के व्यवहार का विरोध कर रहे है.

यौन उत्पीड़न के आरोप



एचएनएलयू की स्टुडेंट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष, स्नेहल रंजन ने कहा, "हमारे विरोध के दौरान, हमने महसूस किया कि यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें हैं जिन्हें पिछले वीसी के डर के कारण लड़कियों ने सामने नही लाया. जब हमें इसके बारे में पता चल गया, तो हमने लड़कियों की शिकायतों को इकठ्ठा करना शुरु किया तो हमें हमारे एल्यूमिने से भी इस तरह की शिकायतें मिलीं. हम कल सुबह तक अंतरिम वीसी, रविशंकर शर्मा को सूची सौप देंगे और मांग करेंगे कि मैंनेजमेंट के जो लोग है और जिनके ख़िलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतें मिली है उन सभी लोगों को उनकी अतिरिक्त जिम्मेदारियों से हटाया जायें या अस्थायी रूप से विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया जाना चाहिए ताकि उनके खिलाफ जांच शुरू हो सके.  यदि दोषी पाया जाता है, तो उन्हें विश्वविद्यालय से हटा दिया जाना चाहिए."



छात्राओं में से एक ने कहा कि यौन शोषण के 50 से अधिक मामले प्रबंधन में शामिल एक व्यक्ति के खिलाफ आयें है. "अभियुक्त व्यक्ति को अपने फेसबुक अकाउंट को निष्क्रिय करना पड़ा क्योंकि लड़कियों के साथ उनके चैट संदेश सार्वजनिक हो गए थे. वह लड़कियों से गंदी बातें करते थे और उन्हें अपने कार्यालय में उनके साथ रहने के लिए परेशान करते थे. उन्होंने कई लड़कियों के साथ ऐसा किया."



रायजादा और रंजन दोनों ने हमें बताया कि कॉलेज ने केवल पिछले साल ही आंतरिक शिकायत समिति(आईसीसी) का गठन किया. रायजादा ने कहा कि आईसीसी ने केवल यौन उत्पीड़न का एक मामला संज्ञान में लिया लेकिन साक्ष्य की कमी के कारण उसे भी बंद कर दिया.



 छात्र की मांग



स्टुडेंट बार एसोसिएशन ने मांग की है कि विश्वविद्यालय के कुलपति और अंतरिम वीसी एक स्वतंत्र आंतरिक शिकायत समिति का गठन करे, जो पूर्व वीसी और वर्तमान मैनेंजमेंट के करीबी सदस्यों से मुक्त हो. यही कारण है कि लड़कियां आईसीसी से शिकायत नहीं कर रही थी क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी परेशानी बढ़ जायेंगी.



रंजन ने कहा, "हमारे विश्वविद्यालय में बहुत सारे मुद्दे हैं और हमारे यहां पर उचित परीक्षा अकादमिक अनुशासनात्मक नियम नहीं हैं. हमारे पास केवल कुछ अधिसूचनाएं हैं और प्रशासन उसका उपयोग अपनी मर्जी से करता है. "



एसोसिएशन ने 14 मांगों का मसौदा तैयार किया है और इसके लिये अब तक दो बैठकें हो चुकी है. वीसी ने मांगों को स्वीकार किया लेकिन उन्हें मानने के बारे में अभी तक कुछ भी नही कहा है. छात्र चिंतित हैं कि विरोध वापस लेने के बाद वीसी मांगों को मंजूरी शायद न दे.



यौन शोषण के 50 से अधिक मामले प्रबंधन में शामिल एक व्यक्ति के खिलाफ आयें है. " वह लड़कियों से गंदी बातें करते थे और उन्हें अपने कार्यालय में उनके साथ रहने के लिए परेशान करते थे. उन्होंने कई लड़कियों के साथ ऐसा किया."



वार्डन कहती है



हमने वार्डन और सहायक प्रोफेसर (कानून) बलविंदर कौर से भी बात की, जिन्होंने दावा किया है कि वे वार्डन के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि छात्रायें चाहती थी कि वह इस्तीफा दे, इसलिये उन्होंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इसे मंजूर नही किया है.



छात्रों की मांग पर, उन्होंने कहा, "उनके पास कुछ मांगें हैं और सभी संकाय सदस्यों ने अपनी मांगों पर हस्ताक्षर किए हैं. हम सभी एकसाथ हैं और अब यह मामला प्रभारी वीसी के पास है. हम लड़कियों की कुछ मांगों से सहमत हैं जैसे वे छात्रावास के लिए एक स्वतंत्र वार्डन चाहती हैं.”



वह लड़कों के छात्रावास की तुलना में लड़कियों के छात्रावास के साथ भेदभावपूर्ण नियमों के आरोपों से असहमत है और कहा कि समय दोनों हॉस्टलों के लिये बराबर है.



एचएनएलयू, जामिया विश्वविद्यालय, हिंदू कॉलेज ऑफ डीयू, बीएचयू, जाधवपुर विश्वविद्यालय इत्यादि जैसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की सूची में शामिल हो गया है, जहां छात्र-विशेष रूप से लड़कियां अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं और प्रशासन को सहमति के अर्थ को समझाने की कोशिश कर रही हैं. वे कॉलेज प्रशासन को समझने का यास कर रही हैं कि मोरल पुलिसिंग, कर्फ्यू समय और विडंबनात्मक व्यवहार अब उन्हें आगे बढ़ने से रोक नही पायेंगे.



 
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