क्या महिलाएं और लड़कियां कर सकती हैं श्राद्ध और पिंडदान

पितृपक्ष शुरू हो चुके हैं यह श्राद्ध और पिण्डदान का समय होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के समय पूर्वज पृथ्वी पर निवास करते हैं। इसलिए इस समय उनकी पूजा की जाती है। आइये जानते हैं कि क्या महिलाएं और लड़कियां कर सकती हैं श्राद्ध और पिंडदान-(Image Credit -Amar uajala)

पितृ पक्ष

पितृ पक्ष हर वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और 15 दिनों तक चलता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत आज यानी कि 29 सितम्बर 2023 से हो चुकी है। यह 14 सितम्बर तक चलने वाला है।(Image Credit -Jagran)

महिलाओं द्वारा श्राद्ध

ज्यादातर कामों को पुरुषों के लिए बांटा गया है कि ये काम सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं जिनमें से एक श्राद्ध और पिंडदान भी है। लेकिन महिलाओं के लिए भी पिंडदान करने और श्राद्ध करने के नियम मौजूद हैं। लेकिन यह कुछ विशेष स्थितियों के लिए हैं।(Image Credit -Hindustan)

महिलाओं द्वारा पिंडदान

कुछ पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में महिलाओं द्वारा पिंडदान करने की स्थितियों के नियम बनाये गये हैं। जिनमें से ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार यह कहा गया है कि जिन पूर्वजों के परिवार में उनके बेटे नहीं हैं उनमें बेटियां और महिलाएं अपने पूर्वजों को पिंडदान कर सकती हैं। (Image Credit -Lifetylenama)

पितृ ऋण

मान्यता है कि पूर्वजों का ऋण चुकाना किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी होता है जो कि श्राद्ध और पिंडदान से ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे में अगर बेटा नहीं है तो बेटियां महिलाएं, बहुएं यह कर सकती हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है। (Image Credit -Dainik Bhaskar)

बेटियों के लिए अधिकार

हिन्दू संकृति में पुराने समय से भी बेटियों को बराबर का महत्त्व दिया गया है। इसलिए अगर किसी परिवार में बेटा है इसके बावजूद भी बेटी अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान कर सकती हैं। लेकिन इसमें उन्हें कुछ नियमों का शख्ती से पालन करना पड़ता है।(Image Credit -India Public Khabar)

विशेष स्थितियां

कुछ विशेष स्थितियों में भी महिलाएं और बेटियां पिंडदान और श्राद्ध कर सकती हैं। ऐसे में अगर उनके परिवार का पुरुष घर पर नहीं है या वह पिंडदान करने की स्थिति में नहीं है या बीमार है तब भी महिलाएं ऐसा कर सकती हैं। (Image Credit -HerZindagi)

क्या कहता है गरुण पुराण

गरुण पुराण हिन्दू धर्म का एक ऐसा ग्रन्थ है जो पितरों से सम्बन्धित सभी कार्यों के बारे में जानकारी देता है। ऐसे में गरुण पुराण में लिखा है कि अगर कोई बेटी अपने पितरों को पिंडदान करती है तो वह मान्य होता है और उनके पूर्वज उन्हें आशीर्वाद देते हैं।(Image Credit -Jagran)

क्या है इतिहास

मान्यताएँ और हिन्दू ग्रंथों के अनुसार महिलाएं पितरों को पिंडदान और श्राद्ध करती थीं। जिसमें सबसे ज्यादा कहानी प्रचलित है माता सीता की कहा जाता है कि उन्होंने फल्गु नदी के तट पर अपने शशुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था।(Image Credit -ABP News)