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Primary Ovarian Insufficiency: क्या है प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी?

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Swati Bundela
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प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी एक कंडीशन जिसका मतलब है 40 की उम्र से पहले आपकी ओवरीज़ का काम करना बंद कर चुकी है। इस कंडीशन को प्रीमच्योर ओवेरियन फेलियर भी कहते है। ऐसे सिचुएशन में आपकी ओवरीज़ रेगुलर एस्ट्रोजन अमाउंट प्रोड्यूस नहीं कर पाती है। इसके साथ-साथ ओवरीज़ को लगातार एग्स प्रोड्यूस करने में भी दिक्कत होता है। इसलिए ऐसी कंडीशन इनफर्टिलिटी का रूप ले लेती है।

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क्या हैं इसके कारण?



हमारे ओवरी में बहुत सारे सैक्स होते हैं जिन्हें हम फॉलिकल्स कहते हैं। प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी के कंडीशन में ये फॉलिकल्स ख़त्म हो जाते हैं या काम करना बंद कर देते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे की केमोथेरपी या रेडिएशन थेरेपी, जेनेटिक या क्रोमोसोमल डिसऑर्डर्स और वायरल इन्फेक्शन। ये बीमारी हेरेडिटरी भी हो सकती है। अगर आपके मैटरनल साइड में किसी को ये बीमारी रह चुकी है तो आपके लिए इस बीमारी का रिस्क बढ़ जाता है।

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क्या हैं इसके लक्षण?



प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी का सबसे कॉमन लक्षण है पीरियड्स में इर्रेगुलरिटी। इसके बाकी लक्षण मेनोपॉज़ से मेल खाते हैं जैसे की एंग्जायटी, डिप्रेशन, हॉट फ्लैशेस, वजाइना की डॉयनेस और सोने में समस्या। सेक्स ड्राइव में कमी आना भी इसका मेन लक्षण है। अगर आप इन सब लक्षणों को महसूस करें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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क्या है इसकी डायग्नोसिस?



अगर आपके पीरियड्स बंद या इर्रेगुलर हो गए हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह ले कर आप ब्लड टेस्ट्स करवा सकती हैं। अगर आप
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प्रेगनेंसी या थाइरोइड की समस्या से नहीं गुज़र रही है तो फिर ये प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी हो सकता है। इसके मुख्य टेस्ट्स हैं फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन के लेवल्स का टेस्ट और एस्ट्राडिओल यानी की एस्ट्रोजन लेवल्स का टेस्ट।

क्या हैं इसके हेल्थ इफेक्ट्स?

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एस्ट्रोजन के लो लेवल्स ना सिर्फ आपके प्रेग्नेंट होने के चान्सेस को घटा देते हैं बल्कि इससे और भी कई तरह की बीमारी हो सकती है। आपमें एंग्जायटी और डिप्रेशन बढ़ सकता है, आपको आई ड्राइनेस भी हो सकती है, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाइपोथयरॉइडिस्म जैसी बीमारियां भी आपको घेर सकती है।

क्या है इसकी ट्रीटमेंट?



अभी तक प्राइमरी ओवेरियन इंसाफिशिएंसी को ठीक करने के लिए कोई प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं है लेकिन इसके लक्षण को कम करने के लिए आप थेरेपी ले सकती हैं। एक ऐसी थेरेपी है हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी। इसके अलावा आप कैल्शियम और विटामिन डी की सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं। अपने फिटनेस रूटीन में सुधार ला कर भी आप इसे ट्रीट कर सकती हैं। अपने डॉक्टर से सलाह ले कर अपने लिए सही ट्रीटमेंट चुनें।
सेहत
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