पीरियड्स के बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपने बहुत कम सुनी होंगी

पीरियड्स के समय में महिलाओं को कई तरह की समस्याएँ होती हैं। पीरियड्स के बारे में कुछ फैक्ट्स ऐसे भी हैं जिनके बारे में लोगों को ज्यादा नहीं पता है। आइये जानते हैं पीरियड्स से जुड़ी ऐसी बातों के बारे में जो आपने कम सुनी होंगी । (Image Credit-Pexels)

इतिहास के पीरियड प्रोडक्ट्स

पूरे इतिहास में लोगों ने मासिक धर्म प्रोडक्ट्स के रूप में तमाम तरह की सामग्रियों का उपयोग किया है। जिसमें काई, जानवरों की खाल और ऊन जैसी प्राकृतिक सामग्री शामिल हैं। पहला व्यावसायिक पीरियड्स पैड 19वीं सदी के अंत में विकसित किया गया था।(Image Credit-www.self.com)

पीरियड ब्लड केवल ब्लड नहीं है

मासिक धर्म द्रव केवल खून के अलावा और भी बहुत सी चीजों से बना होता है। इसमें ब्लड, ऊतक, बलगम और गर्भाशय की परत का मिश्रण शामिल होता है। पीरियड्स के ब्लड का लाल रंग ब्लड में आयरन की उपस्थिति के कारण होता है।(Image Credit-Pexels)

पीरियड प्रोडक्ट्स का पर्यावरण पर प्रभाव

पारंपरिक डिस्पोजेबल मासिक धर्म उत्पाद जैसे- पैड और टैम्पोन पर्यावरणीय अपशिष्ट में योगदान करते हैं। इसलिए ज्यादा टिकाऊ पीरियड प्रोडक्ट्स में कप, कपड़े के पैड और पीरियड अंडरवियर जैसे दोबारा इस्तेमाल किये जाने वाले प्रोडक्ट्स बनने स्टार्ट हुए।(Image Credit-Rotaract arts)

पीरियड पावर्टी

दुनिया के कई हिस्सों में पीरियड पावर्टी एक वास्तविक मुद्दा है। यह पीरियड्स प्रोडक्ट्स, स्वच्छता सुविधाओं और मासिक धर्म के बारे में शिक्षा तक पहुंच की कमी को दिखाता है।(Image Credit-Watchdogs gazettes)

एक्सरसाइज पर प्रभाव

महिलाओं में पीरियड सायकल एक्सरसाइज को प्रभावित कर सकता है। पूरे पीरियड सायकल में हार्मोनल परिवर्तन एनर्जी के लेवल, दर्द सहनशीलता और मांसपेशियों की रिकवरी को प्रभावित करते हैं।(Image Credit-Grehlaxmi)

मेन्स्त्रुअल लीव पॉलिसीज

जापान और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देशों ने मेन्स्त्रुअल लीव पॉलिसीज पेश की गई हैं जो ज्यादा पीरियड प्रॉब्लम का अनुभव होने पर महिला कर्मचारियों को काम से छुट्टी लेने की अनुमति देती हैं। (Image Credit-Live law Hindi)

मासिक धर्म संबंधी मिथक और कलंक

विभिन्न संस्कृतियों में पीरियड्स को लेकर विभिन्न मिथक और कलंक हैं। ये ग़लतफ़हमियाँ शर्मिंदगी, भेदभाव और मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच का कारण बन सकती हैं।(Image Credit-Myupchar)