क्या आपको पता है Durga Puja के इन Rituals के बारे में?

हर बंगाली एक साल इंतजार करता है उन पांच दिनों के लिए जब पूरा बंगाल खुशी में झूम उठता है और वह है दुर्गा पूजाI दुर्गा पूजा के पांच दिनों में इन छोटी से छोटी रसम में बंगाली एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटते है- (image credit- TheQuint)

बिल्व निमंत्रण

यह दुर्गा पूजा का पहला रसम है जो षष्ठी के दिन मनाया जाता है जब मां दुर्गा को धरती लोक में बेलपत्र द्वारा निमंत्रित किया जाता हैI कालिका पुराण में ब्रह्मा देव ने बेल के पेड़ के सामने ही देवी को याद किया था ताकि वह रावण को हराने में भगवान राम की मदद करेI (image credit- Pinterest)

बोधन

सीता माता को बचाने जाते वक़्त ब्रह्मा के आदेश पर श्री राम ने देवी की पूजा की और तब शरद का महीना थाI इसलिए शरद ऋतु में बेल के पेड़ के नीचे एक पानी के घड़े में मां दुर्गा की छवि देखी जाती है और उन्हें आमंत्रित किया जाता हैI (image credit- Belur Math Media Gallery)

नव पत्रिका

नव पत्रिका अर्थात 9 केले के पौधों द्वारा बनाई गई कोलाबोउ जिन्हें सफेद साड़ी लाल आंचल में लपेटकर गणेश जी के पास रखा जाता हैI वह गणेश की कई पत्नियों में से एक हैI माहा सप्तमी के सुबह नव पत्रिका को गंगा के घाट में स्नान कराया जाता है और उनकी पूजा की जाती हैI (image credit- India Today)

पुष्पांजलि

इस समय का बंगाली बेसब्री से इंतजार करते है कि कब अष्टमी की सुबह आएगी और वह नहा-धोकर, सज-सवरकर मां दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करेंगेI तीन फेरों में मां को अंजलि अर्पित किया जाता है हालांकि सप्तमी और नवमी में भी पुष्पांजलि दी जाती हैI (image credit- Pinterest)

कुमारी पूजा

हालांकि सिर्फ कोलकाता के गिनी चुने जगह पर ही कुमारी पूजा को मनाया जाता है जहां छोटी बच्चियों को मां दुर्गा का अवतार मानकर उनकी पूजा की जाती है और उनको दावत दी जाती है फिर उन्हें उनका मनपसंद तोहफ़ा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता हैI (image credit- Flickr)

संधि पूजा

जब अष्टमी खत्म होकर नवमी का पहाड़ शुरू होता है उसे 'संधिक्षण' बोलते हैI माना जाता है कि इस वक्त मां दुर्गा अपना चामुंडा का उग्र रूप लेती हैI इस वक्त 108 दिए जलाकर और 108 कमल अर्पित कर मां की पूजा की जाती हैI (image credit- Flickr)

धुनुची नाच

नवमी या फिर दशमी को धुनुची के साथ लोग नाचते है कोई भी पूजा बिना धुनुची नाच के कभी पूरी नहीं होतीI जहां कई तो धुनुची को अपने सिर पर रखकर या फिर दाँत से पकड़ कर भी नाचते हैl बड़ों से लेकर बच्चों तक धुनुची हाथ में लेकर मजे से झूमते हैI (image credit- Pinterest)

सिंदूर खेल

दशमी के शाम शादीशुदा औरतें दुर्गा मां की पूजा करके उन्हें विदा करती हैI उस वक्त सभी औरतें एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैI यह खेल नारी में सशक्तिकरण और बंधुत्व का प्रतीक हैl (image credit- The Times Of India)

विसर्जन

यह वह घड़ी है जब मां दुर्गा के कैलाश लॉटरी का वक्त आ जाता हैI दशमी के दिन इस वक्त सभी को भारी मन के साथ मां को विदा करना पड़ता हैI इस उम्मीद के साथ कि 'आसछे बोछोर आबार होबे' यानी अगले साल फिर से हम मां की पूजा करेंगेI (image credit- Pinterest)

विजया

मां दुर्गा के विसर्जन के बाद बंगाली अपने बड़ों से आशीर्वाद लेते है और छोटो को विजया की शुभकामनाएं देते हैI इस अवसर पर मिठाइयां बांटी जाती है और संगीत एवं नृत्य का सम्मेलन रखा जाता हैI (image credit- Pinterest)