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रांझणा ने किए 7 साल पूरे: देखें क्यों है स्टॉकिंग को ग्लोरिफाय करना गलत

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Swati Bundela
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अपने प्यार को हासिल करने के 3 तरीके हैं। आप अपने क्रश के मेलबॉक्स में चुपके से एक लेटर डाल सकते हैं या उनसे कॉफी के लिए पूछ सकते हैं या सिर्फ उनके बारे में सोच सकते हैं और उसी में खुश रह सकते हैं। पर बॉलीवुड तो बॉलीवुड है। बॉलीवुड कहता है स्टॉक करो। उसने तुम्हे मना किया तो तुम उसके पीछे हाथ धो के पड़ जाओ। वो कभी ना कभी तो मान ही जाएगी।

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रांझणा के 7 साल

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रांझणा इसी कांसेप्ट पर बनी है। रांझणा ने 7 साल पूरे किए हैं तो आइए देखते हैं कैसे स्टॉकिंग को रांझणा ने ग्लोरिफाय किया और उसे एक तरह का प्यार बताया।



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लिबरल और intolerant साथ साथ



वाराणसी के शहर में सेट इस फ़िल्म का हीरो था कुंदन(धनुष) जो बचपन से ज़ोया(
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सोनम कपूर) के प्यार में पागल था। ज़ोया एक पढ़े लिखे बड़े मुस्लिम परिवार से थी और कुंदन एक ब्राह्मण परिवार से था।



दोनों अलग धर्म और अलग क्लास(एकॉनॉमिक class) से थे पर कुंदन ये सब नहीं मानता था। इन सब मामलों में वो liberal था। ये थोड़ा अजीब है क्योंकि जब ज़ोया की पसन्द नापसन्द की बात आती है तो वो intolerant होजाता है।
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उसके लाख मना करने के बावजूद कुंदन उससे बार बार court करने की कोशिश करता है। वो ज़ोया को ब्लैकमेल करने से लेकर ज़ोर ज़बरदस्ती तक करता है जब तक उसके कारनामे दुखद रिजल्ट देते हैं। पर आखिरी में भी मरते समय कुंदन ज़ोया को अगले जन्म में पाने का वादा करता है।

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क्यों कुंदन गलत है?

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कुंदन अपने funny और playful अंदाज़ में ज़ोया को घूरना और खुद को ज़ोया के सामने embarass करने से लेकर ज़ोया से हां बुलवाने के लिए पागलों की तरह अपने आप को चोट पहुँचाने लगा( हाथ की नस काटना)।



वो ये बात समझ नहीं पाता कि ज़ोया ने कभी उसे हां बोला ही नहीं। वो उससे बात करती थी, उसके साथ हंसती थी पर हमेशा उसे दोस्त की तरह देखती थी। उसको ये सब signs लगने लगते हैं और उनपर वो बिल्ड करता है और ज़्यादा ताकत लगा कर ज़ोया का पीछा करता है।



और कुंदन के दोस्त की सुनहरी एडवाइस,"सुबह से शाम पीछा करो, घर के बाहर, स्कूल के बाहर, बाज़ार में, सड़कों पर, साईकल पर, रिक्शा में, टेम्पो में,रो दो, खाना खाना छोड़ दो,वज़न घटा लो, और लड़की को इतना थका दो के वो थक के हां बोल दे।"



क्या बात है!!!



रील और रियल में फर्क



ज़ोया भले ही कुंदन से ना डरती हो पर वो ज़ोया है। हर लड़की ज़ोया नहीं होती। और भारत में आपको बहुत कम ज़ोया मिलेंगी।



अगर इंस्टाग्राम पर भी कोई पुरूष लगातार मैसेज करता रहे मना करने के बावजूद तो हमें उसे ब्लॉक करना ही पड़ता है। और ये तो सिर्फ सोशल मीडिया की बात है असली ज़िन्दगी में तो ये और भी खतरनाक हो सकता है।



स्टॉकिंग जानलेवा है



स्टॉकिंग के केसेस कई महिलाएं रिपोर्ट करती हैं पर कई तो रिपोर्ट करने के लिए जिंदा ही नहीं बचतीं।



इसी मार्च में राजस्थान की एक 24 साल की पोस्ट ग्रेजुएट लड़की को उसके स्टॉकर ने चाकू मारकर हत्या कर दी। 2017 में उत्तर प्रदेश की एक लड़की को भी मार दिया गया क्योंकि उसने स्टॉकर को मना कर दिया।



ज़िम्मेदारी है फ़िल्म मेकर्स और एक्टर्स की



फ़िल्म मेकर्स और एक्टर्स को अपनी फ़िल्मों को लेकर ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि किसी ना किसी तरीके से फ़िल्में लोगों को एफेक्ट करती हैं। लोगों के साथ वो रियल लाइफ में हो जाता है।



जो केसेस ऊपर दिए गए हैं वो शायद फ़िल्मों से इन्फ्लुएंस हो या ना हों नहीं पता। पर क्रिमिनल इसे प्यार के नाम पर जस्टिफाई ज़रूर करते हैं।



किसी को भी लड़कियों को स्टॉक करना और उनके मना करने के बावजूद उनके पीछे पड़ना सही नहीं लगना चाहिए। पर अगर हीरो चार्मिंग होने के नाम पर ये सब करेगा तो इसका असर तो लोगों पर पड़ेगा। ये बदलाव पहले ही ले आना चाहिए था पर नहीं आया तो अब लाना बेहद ज़रूरी है।



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