Jaya Bachchan के 7 ऐसे रोल, जो आज भी दिल छू जाते हैं

77 साल की उम्र में भी जया बच्चन हिंदी सिनेमा की सबसे दमदार अदाकाराओं में गिनी जाती हैं। उनके निभाए गए कुछ किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। चलिए उनके 7 यादगार और आइकोनिक रोल्स को याद करते हैं।

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कुसुम ‘गुड्डी’: Guddi (1971)

कुसुम एक चुलबुली और फिल्मी दुनिया की दीवानी स्कूल गर्ल है। जया बच्चन ने इस किरदार को इतनी मासूमियत से निभाया कि वो हर आम लड़की की तरह लगीं। गुड्डी आज भी उनकी सबसे दिल छू लेने वाली परफॉर्मेंस में से एक मानी जाती है।

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उमा: Abhimaan (1973)

उमा एक सशक्त गायिका है, जो पति से प्यार भी करती है और अपने हुनर की पहचान भी चाहती है। जया ने उमा के किरदार में स्त्री की आत्मा, संघर्ष और संवेदनशीलता को बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया। उनका अभिनय आज भी दर्शकों को भावुक करता है।

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सीमा: Koshish (1972)

सीमा एक मूक-बधिर महिला है जो अपने पति के साथ साधारण लेकिन चुनौतीपूर्ण जीवन जीती है। जया बच्चन ने बिना बोले, केवल हावभाव से इस किरदार में इतनी गहराई भर दी कि सीमित संवादों में भी वो दर्शकों के दिल में बस गईं।

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मिली खन्ना: Mili (1975)

मिली एक जिंदगी से भरपूर लड़की है जो अपनी बीमारी को छुपाकर सबको खुश रखती है। जया ने इस किरदार को इतना जीवंत और आत्मीय बनाया कि उनकी मुस्कान और आंखों में छुपा दर्द दर्शकों को रुला देता है। मिली उनका एक यादगार किरदार है।

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वासुधा: Chupke Chupke (1975)

वासुधा एक भोली-भाली नई दुल्हन है जो मज़ाकिया साज़िशों का हिस्सा बनती है। जया बच्चन की सादगी, मासूमियत और कॉमिक टाइमिंग ने इस किरदार को खास बना दिया। उन्होंने साबित किया कि सादगी में भी दम होता है।

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सुमित्रा रायचंद: Kabhi Khushi Kabhie Gham (2001)

सुमित्रा एक मां है जो अपने बेटे की जुदाई में भी परिवार को जोड़कर रखने की कोशिश करती है। जया बच्चन ने इस किरदार को गहराई, मौन पीड़ा और मां की ममता से इस तरह भरा कि हर दर्शक उनके साथ जुड़ाव महसूस करता है।

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नंदिनी कपूर: Kal Ho Naa Ho (2003)

नंदिनी एक अकेली मां है, जिसके चेहरे पर दर्द है लेकिन आवाज में सुकून। जया बच्चन का ये किरदार बहुत ही शांत, पर असरदार है। उन्होंने दिखाया कि कभी-कभी मां की आंखें वो सब बयां कर देती हैं जो शब्द नहीं कह पाते।

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