Kirron & Anupam Kher: थिएटर से जीवनसाथी बनने तक का सफर
चंडीगढ़ थिएटर ग्रुप में पहली बार मिले अनुपम और किरन। दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं थे, लेकिन थिएटर ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया।
चंडीगढ़ थिएटर ग्रुप में पहली बार मिले अनुपम और किरन। दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं थे, लेकिन थिएटर ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया।
अनुपम 1979 से एक असफल शादी में थे, और 1980 में किरन से दोस्ती ने उन्हें भावनात्मक सहारा दिया। थिएटर करते-करते दोनों की बॉन्डिंग गहरी होती गई।
थिएटर के लिए यात्रा करते हुए, दोनों ने अपने सपने और संघर्ष साझा किए। दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे लगने लगे।
1982 में एक थिएटर ट्रिप के दौरान अनुपम को अहसास हुआ कि वे किरन से प्यार करने लगे हैं। उन्होंने अपने दिल की बात कह दी, और किरन ने भी अपने जज़्बात कबूल किए।
1985 में दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद जिंदगी आसान नहीं थी, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हर परिस्थिति में साथ दिया।
अनुपम के प्रोडक्शन में घाटे के कारण आर्थिक मुश्किलें आईं। किरन ने फिल्मों में वापसी कर परिवार को संभाला। उन्होंने साबित किया कि प्यार सिर्फ अच्छे पलों में नहीं, बल्कि मुश्किल समय में भी साथ रहने का नाम है।
तीन-चार साल की चुनौतियों के बावजूद दोनों ने कभी हार नहीं मानी। किरन ने कहा कि इन संघर्षों ने उन्हें और मजबूत बनाया और आत्मनिर्भरता सिखाई।
आज अनुपम और किरन की जोड़ी भरोसे, दोस्ती और प्यार की मिसाल है। उनकी कहानी सिखाती है कि सच्चा रिश्ता वक्त और हालात से परे होता है।