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कम्यूनिकेटर और पत्रकार केतकी लाटकर बच्चों के भाषा कौशल में वृद्धि करना चाहती हैं

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Swati Bundela
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बच्चों के अंदर साहित्य की रूचि को जगाना जरुरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरुरी उन्हें इस चीज़ में व्यस्त रखना है। पुणे स्तिथ केतकी लाटकर यही काम कर रहीं हैं। केतकी एक कम्यूनिकेटर और पत्रकार हैं। इसके साथ ही वे "द वर्डस्मिथ क्लब" की संस्थापक हैं जिसका सपना बच्चों के भाषा कौशल में वृद्धि करना है। केतकी सावित्रीबाई फुले विश्विद्यालय के लॉ डिपार्टमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट्स को एक सॉफ्ट स्किल्स का मॉडूल भी पढ़ाती हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में अपनी ग्राफ़िक किताब "रेजिंग रिहान" भी लांच की। शीदपीपल से बात करते हुए केतकी ने इन विषयों पर चर्चा की।

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वर्डस्मिथ क्लब की शुरुआत



केतकी को हमेशा से ही लिखना काफी पसंद था। अपने कॉलेज के दिनों में वे अपनी मर्ज़ी से स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ने में, विभिन्न चर्चाएं करने में, आदि में मदद करती थीं। लेकिन जब वे अपनी पढाई में व्यस्त हो गयीं और फिर काम में, तब यह सब काफी कम हो गया। केतकी प्रिंट उद्योग से एक शिक्षा पत्रकार की तरह जुडी थीं। जिसके चलते उन्हें काफी बार स्कूलों में जाने का मौका मिलने लगा।

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उन्होंने यह महसूस किया की बच्चों की भाषा कौशल की स्तिथि बिलकुल बेकार होती जा रही है। इसलिए उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी और अपने अनुभव और अपनी रूचि का मिश्रण कर वर्डस्मिथ क्लब की संस्थापना की।



भाषा कौशल में वृद्धि के तरीके

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वर्डस्मिथ क्लब में भाषा वृद्धि को एक समग्र तरीके से करने का प्रयास किया जाता है।



केतकी अक्सर बच्चों के माता-पिता के संपर्क में आती हैं जो उन्हें अपने बच्चों के बारे में सारी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं। जैसी की उनका बच्चा कम पढता है या शर्माता है। लेकिन केतकी के हिसाब से यह सब चीज़ें एक दूसरे से अलग नहीं हैं बल्कि मिली-जुली हैं। उनके अनुसार किसी भी बच्चे के लेखन कौशल को जब तक नहीं सुधारा जा सकता है जब तक हम उसके सुनने, पढ़ने, और बोलने की क्षमता को संज्ञान में न लें। यह सारे बातें एक दूसरे से जुडी हुई हैं।
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भाषा अध्ध्यन में बदलाव



केतकी ने अपने समय की तुलना आज की स्तिथि से की और उन्होंने बताया कि आज कल बच्चे सिर्फ पारम्परिक विषयों को नहीं चुन रहें हैं। वे गडित और विज्ञान की रट से बाहर आ चुके हैं। लोगों ने यह एहसास किया है कि पारस्परिक और संवाद कौशल बेहद ज़रूरी है। बच्चे सोशल मीडिया की वजह से आज ज्यादा जागरूक हैं। पर दूसरी तरफ आज कल बच्चे खाली समय बिलकुल नहीं पाते क्यूंकि उनकी दिनचर्या पूर्ण रूप से व्यस्त होती है। इसलिए उन्हें ज्यादा सोचने का और रचनात्मक होने का अवसर नहीं मिलता।
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स्कूल के पुस्तकालयों में बदलाव



केतकी ने बताया की आज कल स्कूलों में लाइब्रेरी बिलकुल बोर करने जैसी हो गयीं हैं। बच्चों को पुस्तकालयों में सभी किताबें नहीं दी जाती हैं और उनके पास काफी कम विकल्प होते हैं। साथ ही, लाइब्रेरी प्रबंधकों को भी कम जानकारी होती है। इसलिए केतकी स्कूल के पुस्तकालयों में बदलाव करके उन्हें एक नया आकार देना चाहती हैं।
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"करियर चुनना पारम्परिक और अपारम्परिक विषयों से ज्यादा, एक ख़ुशी और संतुष्टि को चुनने जैसा है"।



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बच्चों के लिए उनकी राय



केतकी के हिसाब से जब आप अपना करियर चुनते हैं तो योग्यता और रूचि दोनों को ही महत्व देना चाहिए। रोबर्ट फ्रॉस्ट की कविता, "द रोड नॉट टेकन" की पंक्तियां एक उदाहरण जैसी हैं।



 
इंस्पिरेशन करियर पुस्तकालय #भाषा कौशल #विज्ञान
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