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क्यों बनाये रखना ज़रूरी है जीवन और काम के बीच संतुलन

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Swati Bundela
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इस नए साल काम और जिंदगी के बीच में एक संतुलन कैसे बनाना है यह जरूरी हो गया है। काफी समय तक हमने उन लोगों की तारीफ की है जोकि बहुत ज्यादा काम करते हैं और बहुत जल्दी ऊपर पहुंचते हैं किंतु उन्हें इसके लिए काफी अड़चनें सहनी पड़ती हैं। लगातार काम करना हमें स्ट्रेस और चिंता से परिचित करवा सकता है और हमारी हाल चाल पर रोक लगा सकता है। हमेशा काम करना और सफलता के पीछे भागने से हमें खुशी या संतुष्टि नहीं मिलती। लेकिन भारतीयों को आज भी इसमें भाग लेने की ज़रूरत है क्योंकि हम दिन में ज्यादा घंटे काम करते हैं।

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कुछ देखने वाली बातें



●काम और ज़िन्दगी के बेच बराबरी रखना 2019 की सबसे बड़ी बात
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●ज़्यादा तेज़ भागना और सफ़लता की सीढ़ी चढ़ने के पीछे मुसीबतें आती हैं

●हम भारतीयों को ये जानना और मानना ज़रूरी है कि हम काम के पीछे भाग रहें हैं

●पर हमें ये सीखना ज़रूरी है कि ज़िन्दगी बस काम करना नहीं बल्कि खेलना कूदना भी है।
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आजकल के नौजवानों की ये आशा है कि वो अपने जवानी में ही कामियाब बंजाये और वो पीछे भी नहीं हट रहे। वो घंटो घंटो बैठ कर काम करते हैं बस उस बात को साकार करने के लिए। अलेक्सिस ओहनियन ने हसल पोर्न नामक शब्द दिया जिसका मतलब ये था कि ये नौजवान बच्चों को आगे बढ़ने और सोचने से रोक रहा है। अथवा उनमें एक ऐसी ऊर्जा उत्पन कर रहा है जहाँ वो काम के अलावा और कुछ नही देखते और कंपनी को अपनी ज़िंदगी सौप देते हैं। और जब आप ये अंतर नही कर पाते तो सब एक दूसरे में घुल मिल जाता है।

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हमारे देश में घर आके काम करने को हमेशा बढ़ावा दिया गया। बचपन से ही माता एवं पिता अपने बच्चों को कड़ी मेहनत करके दिखाते हैं। समय के बदलते बदलते आपको पता लगता है कि सिर्फ कड़ी मेहनत ही नहीं अथवा स्मार्ट काम करने की आवश्यकता है। आपको काम करना ही करना है अगर आप कामयाब बनना चाहते हैं । वेस्ट के देशों में ये बात लोगों को समझ आ रही है किंतु हमारे यहाँ ये बात अभी समझनी ज़रूरी है।

थकावट और अत्यंत काम करने वाले वातावरण के कारण ही औरतों को नौकरी छोड़नी पड़ती है क्योंकि उन्हें घर और बच्चे दोनो देखने पड़ते है। क्योंकि पुरुष ये करलेते हैं उन्हें घर के साथ साथ नौकरी संभालने के लिए कम आय मिलता है । पर कंपनियों को ये समझना पड़ेगा कि ये बात पुरूषों को भी माननी चाहिये क्योंकि उन्हें भी बराबरी रखनी चाहिए।

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भारत में किया गया रिसर्च बताता है कि बहुत लोगों को छुट्टी पे न जाने की कमी लगती है। वर्कफोर्स इंस्टीट्यूट के रिसर्च के अनुसार 71 प्रतिशत लोग ये कहते हैं कि काम उनके छुट्टी के बीच आजाता है। तो हद से ज्यादा काम करने और स्ट्रेस लेके हसल पोर्न हमारे दरवाज़े पे थक थका रहा है। पर भारत में ये इसलिए नहीं रुक रहा क्योंकि हमारे पड़ोसी स्वयं खुद पे रोक नहीं लगा रहे।



समय आ गया है कि हम अपने पे रोक लागये और हमारे रिश्ते और स्वास्थ को बचाये क्योंकि अंत में पड़ोसी को नहीं बल्कि हमें ये बोझ सहना पड़ेगा।
इंस्पिरेशन
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