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समलैंगिक रिश्ते इस देश और दुनिया को अभी भी मन से मान्य नही और ये उनके स्वभाव से साफ पता लगता है। 377 का बिल पास होने के बाद इन लोगों पे किये जाने वाले जुल्म कम हुए पर लोगों ने इस रिश्ते को समाज के सोच के कारण
इसको स्वीकृति नही दी।
देश में इसके खिलाफ लड़ने के लिए नई पीढ़ी इसको एक दुष्कर्म से स्वभावुत्व बनाने में जुड़ गए है। वो ये कार्य कई तरीकों से कर रहें हैं जैसे कि मार्च करके, फिल्मो द्वरा अपना संदेश पहुँचाकर । एक ऐसी ही फ़िल्म अभी रिलीज़ हुई
“एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा”।
क्योंकि फिल्में हमें कुछ सिखाती है और आजकल के नौजवान फिल्मों से काफी ज्यादा प्रेरित है और उन्हें देखना भी पसंद करते है। इस फ़िल्म द्वारा ये दर्शाया गया है कि कैसे परिवार आज भी समलैंगिक रिश्ते स्विकार नही करता। लड़कियों में तो बिल्कुल भी नही।
इस फ़िल्म में ये दर्शाया जाता है कि कैसे एक परिवार में जब एक पिता को पता चलता है कि उसकी बेटी समलैंगिक है और एक लड़के से विवाह नही करना चाहती तो वो भड़क जाते है.
इस फ़िल्म को देखना उन लोगों के लिए बहुत आवश्यक है जिन्हें इस के बारे में कुछ नही पता या वो जो इस बात पे समाज के साथ हो लेते है। इस फ़िल्म में ये दर्शाया गया है कि कैसे लोग इस सवभाव को स्वीकारते भी है और नही भी। कैसे अपनो की खुशी समाज की खुशी से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
फ़िल्म के अंत में ये दर्शाया जाता है कि कैसे पिता खुशी खुशी ये स्वीकार कर लेता है कि उसकी बेटी का स्वभाव अलग है और ये अपनी मर्ज़ी है कि किस से प्यार करना है। फ़िल्म में राजकुमार राव ने काफी महत्वपूर्ण रोल अदा किया है और सोनम कपूर ने एक समलैंगिक लड़की का रोल भी बड़े ही अच्छे से अदा किया है।
ये फ़िल्म भारत में बनाई गई पहली ऐसी फ़िल्म है और ये साफ़ साफ़ बताती है कि प्यार करने मे कोई जाति या लिंग नही देखा जाता। फ़िल्म की थीम ‘सेट लव फ्री” यही दर्शाता है कि प्यार प्यार है चाहे जिस भी आकार या रूप में हो।
इसको स्वीकृति नही दी।
देश में इसके खिलाफ लड़ने के लिए नई पीढ़ी इसको एक दुष्कर्म से स्वभावुत्व बनाने में जुड़ गए है। वो ये कार्य कई तरीकों से कर रहें हैं जैसे कि मार्च करके, फिल्मो द्वरा अपना संदेश पहुँचाकर । एक ऐसी ही फ़िल्म अभी रिलीज़ हुई
“एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा”।
क्योंकि फिल्में हमें कुछ सिखाती है और आजकल के नौजवान फिल्मों से काफी ज्यादा प्रेरित है और उन्हें देखना भी पसंद करते है। इस फ़िल्म द्वारा ये दर्शाया गया है कि कैसे परिवार आज भी समलैंगिक रिश्ते स्विकार नही करता। लड़कियों में तो बिल्कुल भी नही।
इस फ़िल्म में ये दर्शाया जाता है कि कैसे एक परिवार में जब एक पिता को पता चलता है कि उसकी बेटी समलैंगिक है और एक लड़के से विवाह नही करना चाहती तो वो भड़क जाते है.
इस फ़िल्म को देखना उन लोगों के लिए बहुत आवश्यक है जिन्हें इस के बारे में कुछ नही पता या वो जो इस बात पे समाज के साथ हो लेते है। इस फ़िल्म में ये दर्शाया गया है कि कैसे लोग इस सवभाव को स्वीकारते भी है और नही भी। कैसे अपनो की खुशी समाज की खुशी से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
फ़िल्म के अंत में ये दर्शाया जाता है कि कैसे पिता खुशी खुशी ये स्वीकार कर लेता है कि उसकी बेटी का स्वभाव अलग है और ये अपनी मर्ज़ी है कि किस से प्यार करना है। फ़िल्म में राजकुमार राव ने काफी महत्वपूर्ण रोल अदा किया है और सोनम कपूर ने एक समलैंगिक लड़की का रोल भी बड़े ही अच्छे से अदा किया है।
ये फ़िल्म भारत में बनाई गई पहली ऐसी फ़िल्म है और ये साफ़ साफ़ बताती है कि प्यार करने मे कोई जाति या लिंग नही देखा जाता। फ़िल्म की थीम ‘सेट लव फ्री” यही दर्शाता है कि प्यार प्यार है चाहे जिस भी आकार या रूप में हो।