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जीत के लिए खुद पर विश्वास ज़रूरी, ‎पी. वी. सिंधु

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Swati Bundela
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द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप द्वारा आयोजित, न्यू एक्सप्रेस अड्डा सत्र में स्वर्ण पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु और कॉच पी. गोपीचंद स्पीकर्स थे. हमने उनसे बैडमिंटन, खिलाड़ियों, पीबीएल और उनकी यात्रा के बारें में बात की.

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फोर्ब्स इंडिया सेलिब्रिटी 100 सूची 2018 में अठारह महिलाओं में से एक सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. उन्होंने दो विश्व चैंपियनशिप फाइनल, एक ओलंपिक फाइनल और कई अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों जीते. उनके कोच, पुलेला गोपीचंद, प्रकाश पादुकोण के बाद भारत के दूसरे ऑल इंग्लैंड चैंप रहे है और सिंधु का हर कदम पर मार्गदर्शन करते हैं.

"मैं चाहता हूँ की, साइना वो करे जो बेस्ट है, और सिंधु जो बेस्ट बन सकती है उस पर वर्क करे" - पी गोपीचंद.

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सिंधु और साइना के आपसी मैच के बारे में पूछे जाने पर गोपीचंद ने कहा कि वह दोनों खिलाड़ियों के लिए सर्वश्रेष्ठ चाहता है. "चीजों को स्पष्ट रखना ज़रूरी है, और यह सुनिश्चित करना कि मैं सिंधु का मार्गदर्शन कर उसके खेल को विकसित करना चाहता हूं. इसका मतलब यह नहीं है कि यह सब साइना को हराने के लिए है" गोपीचंद.



सिंधु ने स्पेन के कैरोलिना मरीन से ऑफ-कोर्ट दोस्ती के बारे में बताया कि वह सभी खिलाड़ियों के साथ तालमेल रखती है और सम्मान करती है. "हालांकि हम दोनों बहुत आक्रामक तरीके से खेलते हैं, ऑफ-कोर्ट हम बहुत अच्छे दोस्त हैं" सिंधु.
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"जूनियर के रू में, साइना का खेल देख काफी कुछ सीखा है" सिंधु



हार के बारे में सिंधु ने कहा कि हर खिलाड़ी अपना बेस्ट देता है. "लोग पूछते हैं, जब आप फाइनल में आते हैं, तो क्या आपको कोई दबाव लगता है? या कुछ और मामला है? कारण कभी स्ट्रोक तो कभी इम्प्रूवमेंट की ज़रूरत होता है. या कभी गलत रणनीति हो सकता है . पर, हम फाइनल जीतने के लिए ही खेलते है" उसने कहा.
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सबसे ज़्यादा कमाई वाली खिलाड़ी होने पर



दस सबसे ज्यादा कमाई करने वाले स्पोर्ट्स खिलाड़ियों में से एक सिंधु ने कहा कि महिलाओं के खेल में आना काफी कठिन है. और महिलाएं खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है. अपने लिए, "यह एक स्टेप-बाय-स्टेप यात्रा है. मैं हमेशा से खेलना व जीतना चाहती थी. हर रोज एक सीखने मौका रहा और इससे कमा पाना अच्छा लगता है. हालाँकि, मेरा फोकस बस बैडमिंटन है."
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पीबीएल और बैडमिंटन खिलाड़ियों की जीवनशैली में बदलाव



गोपीचंद ने कहा कि प्रीमियर बैडमिंटन लीग (PBL) जैसे टूर्नामेंट ने खिलाड़ियों के लिए स्तर बढ़ाया व अच्छी जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित किया है. "बहुत सारे बच्चे हैं जो बैडमिंटन खेलते है. बाइक पर आते है. लेकिन पीबीएल खेल, जल्द ही कारों में आएंगे और बड़े अपार्टमेंट होंगे, " पीबीएल के शुरुआत में अपनी कही बात याद आई.
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"भारत में टैलेंट बहुत मिल जाएगा, लेकिन हमें सिस्टम और कैश इनफ्लो की ज़रूरत है। साइना, सिंधु, श्रीकांत, कश्यप, सब चैंपियंस है, जो 2003 से किये प्रयासों के कारण हैं। परिणाम के लिए समय महत्वपूर्ण है.

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"मैच से पहले रात, मैंने साइना और सिंधु दोनों को मैसेज कर सुनिश्चित किया कि दिन के अंत में, खेल जीते, देश जीते" -  गोपीचंद



माता-पिता का समर्थन



माता पिता के बारें में सिंधु ने कहा कि वो हर कदम पर उनके साथ रहे हैं. "2015 में लगी चोट के समय उनके अडिग विश्वास काफी मदद की. दिन के अंत में, पापा बस मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट देखना चाहते है."



"खेल में एक्सीलेंस ज़रूरी है, मेरिट नहीं. खेल और राष्ट्र की महिमा से ज़्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं" उन्होंने कहा.

बैडमिंटन में नई रुचि



एक पिता का बेटी की रूचि के बारें में सवाल का जवाब देते हुए सिंधु ने कहा कि, रूचि होना पहला स्टेप और सबसे महत्वपूर्ण है. "बैडमिंटन का आनंद लेने और इसे खेलने में मज़े आने ज़रूरी है. जब वो इसे गंभीरता से लेना शुरू करे, तो मेहनत चाहिए और आप का समर्थन."



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