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लोगों को महिलाओं और लड़कियों के बारे में यह विचार रखने अब बंद कर देने चाहिए

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Swati Bundela
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भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं को हमेशा से ही एक अलग स्थान दिया गया है। उन्हें हमेशा पुरुषों से हर चीज़ में कम समझा जाता है। लोगों की काबिलियत का मूल्यांकन उनके लिंग के आधार पर किया जाता है। देखा जाये तो महिलाओं की स्तिथि दुखद्पूर्ण है और एलजीबीटी समुदाय के लोगों की तो उससे भी ज्यादा। अगर हम इस लेख का केंद्र महिलाओं को बनाये तो हम देखेंगे कि कुछ गुण ऐसे है जिन्होंने आज तक महिलाओं का पीछा नहीं छोड़ा है। उन गुणों के सन्दर्भ में ही लोग महिलाओं को जानते है और उनसे भी आशा करते है कि वे स्वयं में इन गुणों को जरूर रखें।

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भावुकता का गुण



भावुक होना एक मानव प्रक्रिया है। तो लड़कियां ज्यादा भावुक होती हैं या लड़के ज्यादा भावुक होते हैं, इसका तो प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन फिर भी हमने लड़कियों और महिलाओं को अलग श्रेणी में डाल रखा है। न जाने क्यों। लोग पुरुषों से उम्मीद करते हैं कि वे न रोए। क्यों? क्यूंकि पुरुष मज़बूत होते हैं और वे इतने भावुक नहीं होते। लेकिन यहां सवाल भावना का है। किसी के कमज़ोर या मज़बूत होने का नहीं। हमे महिलाओं और लड़कियों को मानसिक और भावनात्मक रूप से कमज़ोर समझाना अब बंद कर देना चाहिए।

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शारीरिक रूप से कमज़ोर



महिलाओं का आंकलन अगर लोग करें, तो वे उन्हें किसी कली, कोमल गुलाब, आदि से जोड़ देते हैं। दूसरी तरफ पुरुषों को शेर, राजा, आदि से तोला जाता है। इसका जवाब भी समाज हमे दे। क्या आपने स्पोर्ट्स जगत की महिलाओं की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है? उन्हें देखिये और सोचिये की उनकी तुलना आप किस चीज़ से करेंगे। बेशक फूल से तो नहीं करेंगे। इसलिए मर्दानगी की अवधारणा को बदलने का अब बिलकुल सही समय है।

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मातृत्व की छवि



लोग महिलाओं से आशा करते हैं कि अपने व्यक्तित्व और व्यव्हार में कुशलता और कोमलता देखायें। यह आशा करना गलत नहीं है। लेकिन यह आशा सिर्फ लड़कियों और महिलाओं से करना बिलकुल गलत है। महिलाओं को हमेशा मातृत्व की छवि के अनुसार देखा जाता है। अक्सर आपने लोगों को यह कहते सुना होगा कि यह किसी बच्चे की माँ बिलकुल नहीं लगतीं। कितनी बार यही बात अपने किसी पिता के लिए सुनी है? महिलाओं की कल्पना हमेशा कोमल स्वभाव, देखभाल करने वाली ग्रहणियों, अपने पति को समझने वाली पत्नियों, आदि के सन्दर्भ में करना बंद कर देना चाहिए।

स्टेम विषयों के लिए असमर्थ



याद रखिये कि जब आप लड़कियों को स्टेम विषय लेने के लिए प्रेरित नहीं करते, या उनके इस विचार से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते, तो कहीं न कहीं आपको अपनी विचारधारा में बदलाव लाने की आवशयकता है। क्यूंकि इसका मतलब यह है कि आप लड़कियों को इस काबिल ही नहीं समझते। उन्हें हमेशा सॉफ्ट स्किल्स वाले पाठ्यक्रम लेने की सलाह दी जाती है। उनसे लोग वह उम्मीदें नहीं करते जो वे लड़कों से करते है। लेकिन ऐसे लोगों को अपनी ऑंखें और दिमाग अब खोल के रखने चाहिए ताकि वे समाज में आज-कल की लड़कियों द्वारा पेश किये गए उदाहरणों को देख सकें।
#फेमिनिज्म मातृत्व #कुशलता #भावुकता #स्टेम विषय
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