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सफल करियर के लिए कितना महत्व रखते है अच्छे ग्रेड्स ?

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Swati Bundela
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भारतीय शिक्षा प्रणाली में अच्छे अंकों या ग्रेड्स पर ही सब निर्भर करता है, चाहे टॉप कॉलेज हो या करियर की सफलता. कोई विद्यार्थी सही तौर पर ज्ञान प्राप्त नहीं करना चाहता है. माँ-बाप भी बच्चों से बस अच्छी नौकरी पाने की उम्मीद रखते है, जो अच्छे अंकों से ही होगा.

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"उत्कृष्ट करियर की भविष्यवाणी उत्कृष्ट अकैडमिक द्वारा नहीं की जा सकती."- मनोविज्ञानी एडम ग्रांट



विद्यार्थी जीवन आपको संघर्षों के लिए तैयार करता है, मगर ज़िन्दगी में गलतियां और अनुभव ही आपको करियर में सफल बनाते है. A + ग्रेड सिर्फ रिपोर्ट कार्ड में ही रह जाता है.

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एशियन जर्नल ऑफ़ साइकाइट्री की स्टडी के अनुसार, भारतीय विश्वविद्यालयों में 37.7%, 13.1%, और 2.4% छात्र मध्यम, गंभीर और अत्यंत गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित है. ग्रेड्स के लिए में हम ज़िन्दगी दांव पर लगाने को तैयार है, ज़्यादा पैकेज वाली नौकरी के लिए. तनाव और दबाव में बच्चें ज़िन्दगी तक गँवा देने को तैयार है.

"ग्रेड्स के लिए हम आजकल ज़िन्दगी दांव पर लगाने को तैयार है"

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ग्रांट कहते हैं, समस्याओं का सही समाधान करियर की सफलता नहीं, मगर सही समस्याओं को सुलझाना ही सफल करियर है. जैसा, दसवीं के बाद विषयों का चयन करना. अधिकतर माँ-बाप और छात्र या तो अंकों के अनुसार या विषय में प्रसिद्ध नौकरियों के अनुसार चयन करते है. यह ही पहला गलत कदम है.



अपने फील्ड में रुझान खो देने से काबिलियत और प्रदर्शन में कमी ज़ाहिर है. हर रोज़ ऐसा लगता है की जैसे-तैसे गुज़र जाए. मन में अशांति और दिमाग में अफ़सोस रहता है.
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माता-पिता को अपने जीवन के अनुभव से अपने बच्चों को सही राह दिखानी चाहिए. जो दबाव उन्होंने सहा, उससे बच्चों को नहीं गुज़रने देना चाहिए.



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क्या सफलता की परिभाषा सही है?



जब तक कई लोग उम्र और नौकरी में उच्च पद पर नहीं आ जाते, वो यह समझ ही नहीं पाते कि यह सफलता नहीं है. यहाँ तक आने के लिए, वो बहुत कुछ दांव पर लगा देते है. यह लोग ही अपने बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकते है.



अगर आप अपनी नौकरी को किसी और कार्य के लिए न बदले, तो यह ही सफलता है. अपने कर्म से प्रेम ही सफलता है. कितने इंडियंस अपने प्रोफेशन के बारें में ऐसा कह सकते है? क्या आप कह सकते है?
पेरेंटिंग भारतीय शिक्षा प्रणाली ग्रेड्स प्रोफेशन सफलता
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