Advertisment

हरयाणा में लिंग अनुपात में देखा गया सुधार

author-image
Swati Bundela
New Update
हरयाणा में लिंग अनुपात बढ़ के 832:1000(2012) से 924:1000(2018) होगया है। 2012 से लेकर 31 दिसंबर 2018 तक ये बढ़ाव देखा गया। राज्य की सरकार ने ये आंकड़े बाहर निकले जबकि ये बताया गया कि 2017 में ये आकंड़ा 917:1000 का था।
Advertisment




तीन राज्यों के आंकड़े
Advertisment




करनाल इस आंकड़े में सबसे ऊपर है। यहां का अनुपात 979 लड़कियां हर 1000 लड़कों के लिए है। 2012 में ये आंकड़ा 797 का था। 2011 के सेन्सस के अनुसार झज्झर, रेवाड़ी और कुरुक्षेत्र के आंकड़े शर्मनाक थे, इन तीनो जगहों के अनुपात सबसे कम रहे। ये 781,780 और 743 पे थे। इन आकड़ो ने राज्य सरकार को काफी कार्यक्रम आयोजित करने के लिए काफी बल डाला।

Advertisment


2018 के अंत में रेवाड़ी, झज्झर और कुरुक्षेत्र के अनुपात बढ़ के 904,911 और 942 होगये। 2011 में कुरुक्षेत्र सबसे कम अनुपात वाला जिला था, पर इस बार श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 99 अंक की बढ़त ली।



Advertisment
राज्य सरकार का दावा



हरयाणा सरकार का ये दावा रहा कि ये बढ़त बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के बाद देखी गयी है जिसकी शुरुआत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की। “टीम के काम ने श्रेष्ठ परिणाम उत्पन्न किये, डिप्टी कमिशनर एवं एस पी की समन्वय के कारण ये योजनाएं सफल हो पाई है” राकेश गुप्ता ने कहा जोकि मुख्य सेक्रेटरी है हरयाणा के मुख्यमंत्री के।
Advertisment




हरयाणा की ओर से उठाये गए सख्त कदम
Advertisment




गुप्ता के अनुसार पुर्व गर्भाधान और पुर्व प्रसव के विरुद्ध काफी गंभीर तरह से कार्य किया गया। करीब 650 रैड किये गए कई डायग्नोस्टिक सेन्टर के खिलाफ।

Advertisment


हरयाणा को काफी खराब लिंग अनुपात के लिए जाना जाता है। यहां पे काफी ज्यादा अविवाहित मर्द रहते है जिन्हें लड़की नही मिल पाती इसलिए ये दूसरे राज्यो से लड़कियां ढूंढते है।



हरयाणा में लिंग अनुपात में देखे गए सुधार से यह साफ़ हो गया है इस राज्य में लोगों को लड़कियों का महत्व समझ आ रहा है. वह धीरे धीरे मलकियों के सशक्तिकरण में विश्वास कर रहे हैं और अपनी मानसिकता में भी बदलाव लेन का प्रयास कर रहे हैं.
सेहत
Advertisment