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हाल ही में कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट सामने आया था जो अब और म्युटेट होकर डेल्टा प्लस के रूप में सामने आया है। डेल्टा प्लस वैरीअंट भारत में पाया गया और दूसरी में कोरोना लहर का एक मुख्य कारण था। आइए जानते हैं कोरोनावायरस नए वेरिएंट से जुड़ी जरूरी जानकारी -
दिल्ली साइंटिस्ट और क्लीनीसियन विनोद कार्य ने हाल ही में बताया कि डेल्टा म्यूटेशन कोरोनावायरस में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे कि वायरस शरीर में आसानी से एंटर करके ह्यूमन सेल को इंफेक्ट कर सकते हैं।
हालांकि अभी यह मुख्य रूप से यूरोप, एशिया, अमेरिका मिल रहा है।
हालांकि अभी कोरोनावायरस के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के खतरे पर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है हालांकि देवता प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट में रुकावट पैदा करता है।
जिस प्रकार हमारे शरीर में प्रोटीन से बनी एंटीबॉडीज शरीर को बीमारियों से अपने आप बचाती है बिल्कुल उसी प्रकार मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आर्टिफिशली तैयार होकर इंसान को बीमारियों से बचाती है।
डॉक्टर केरिया ने बताया ई म्यूटेशन इम्यूनिटी सिस्टम को और भी ज्यादा कमजोर कर सकता है। वही इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता बल ने बताया कि अगर हम कमर्शियल एंटीबॉडी कॉकटेल का इस्तेमाल थोड़ा सा करना रोक भी दें तो इससे बीमारी का खतरा ज्यादा नहीं बढ़ेगा।
इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता दल बताती है कि इस नए वेरिएंट का संक्रमण दर तय करेगा कि कितनी जल्दी से लेगा। हालांकि उन्होंने साथ में कहां चेन्नई वेरिएंट से हुए इनफेक्टेड लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है अभी नए वेरिएंट का खतरा भारत में ज्यादा नहीं है।
नेशनल केमिकल लेबोरेटरी में रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग कोरोना सैंपल की जांच हो रही है जिससे यह पता लगाया जाएगा कि क्या वहां पर डालता प्लस के वैरीअंट हैं या नहीं।
कुछ समय पहले वहीं पर delta प्लस वैरीअंट के 6 नए केस सामने आए थे।
क्या है ये डेल्टा प्लस?
दिल्ली साइंटिस्ट और क्लीनीसियन विनोद कार्य ने हाल ही में बताया कि डेल्टा म्यूटेशन कोरोनावायरस में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे कि वायरस शरीर में आसानी से एंटर करके ह्यूमन सेल को इंफेक्ट कर सकते हैं।
हालांकि अभी यह मुख्य रूप से यूरोप, एशिया, अमेरिका मिल रहा है।
डेल्टा प्लस कितना खतरनाक?
हालांकि अभी कोरोनावायरस के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के खतरे पर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है हालांकि देवता प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट में रुकावट पैदा करता है।
जिस प्रकार हमारे शरीर में प्रोटीन से बनी एंटीबॉडीज शरीर को बीमारियों से अपने आप बचाती है बिल्कुल उसी प्रकार मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आर्टिफिशली तैयार होकर इंसान को बीमारियों से बचाती है।
डॉक्टर केरिया ने बताया ई म्यूटेशन इम्यूनिटी सिस्टम को और भी ज्यादा कमजोर कर सकता है। वही इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता बल ने बताया कि अगर हम कमर्शियल एंटीबॉडी कॉकटेल का इस्तेमाल थोड़ा सा करना रोक भी दें तो इससे बीमारी का खतरा ज्यादा नहीं बढ़ेगा।
नया वेरिएंट कितनी रफ़्तार से फैलता है?
इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता दल बताती है कि इस नए वेरिएंट का संक्रमण दर तय करेगा कि कितनी जल्दी से लेगा। हालांकि उन्होंने साथ में कहां चेन्नई वेरिएंट से हुए इनफेक्टेड लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है अभी नए वेरिएंट का खतरा भारत में ज्यादा नहीं है।
नेशनल केमिकल लेबोरेटरी में रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग कोरोना सैंपल की जांच हो रही है जिससे यह पता लगाया जाएगा कि क्या वहां पर डालता प्लस के वैरीअंट हैं या नहीं।
कुछ समय पहले वहीं पर delta प्लस वैरीअंट के 6 नए केस सामने आए थे।