40 के बाद वर्कआउट करना कैसे गेमचेंजर हो सकता है?
40 की उम्र के दौरान नियमित रूप से वर्कआउट करना महिलाओं के ओवरऑल वेल्बीइंग में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। चलिए जानते हैं कैसे?
40 की उम्र के दौरान नियमित रूप से वर्कआउट करना महिलाओं के ओवरऑल वेल्बीइंग में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। चलिए जानते हैं कैसे?
महिलाओं में मेनोपॉज के बाद, बोन डेंसिटी में स्वाभाविक रूप से कमी आती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। वहीं वर्कआउट बोन डेंसिटी को बनाए रखने या बढ़ाने में मदद कर सकता है।
उम्र के साथ मसल मास कम हो जाता है, लेकिन नियमित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से इसका हल हो सकता है, जिससे मांसपेशियों की टोन, ताकत और गतिशीलता को बनाए रखने में मदद मिलती है।
वर्कआउट स्लीप पैटर्न को रेगुलेट करने में मदद कर सकता है, जो हार्मोनल परिवर्तन या तनाव के कारण परेशान हो सकता है।
वर्कआउट एक बेह्तरीन तनाव निवारक है, जो महिलाओं को इस उम्र के साथ आने वाली अक्सर अधिक जटिल जीवन स्थितियों में मदद करता है।
एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन रिलीज होता है जिसे 'फील-गुड' न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में जाना जाता है। इससे डिप्रेशन और चिंता से निपटने में मदद मिलती है।
40 की उम्र में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। लगातार वर्कआउट करने से वजन को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलती है।
नियमित एरोबिक एक्सरसाइज करने से हार्ट हेल्थ को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है, जिससे दिल के रोगों का खतरा कम होता है, जो उम्र के साथ अधिक प्रचलित हो जाता है।