Save Girl, Save Us: लेकिन क्यों समाज में घुट रही है बेटियां?

बेटी का जन्म आज भी कई घरों में उत्सव नहीं, चिंता का विषय होता हैं। समाज में बेटियाँ सिर्फ इसलिए घुट रही हैं क्योंकि उनके अस्तित्व को बराबरी का दर्ज नहीं मिला-न सोच में, न संसाधनों में, न अवसरों में।

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Denied Before Birth

लिंग चयन और भ्रूण हत्या आज भी कई इलाकों में प्रचलित हैंं। बेटी को जन्म लेने से पहले ही मिटा दिया जाता हैं, क्योंकि उसे बोझ समझा जाता हैं।

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Barriers to Education

आज बबही लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं, उनकी शिक्षा को अक्सर पीछे और अनावश्यक समझ कर ताल जाता हैं।

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Culture of Silence

बेटियों को बचपन से ही "ना" कहना नहीं सिखाया जाता हैं। इसलिए लड़कियां अकेले ही घुँटन महसूस करती रहती हैं।

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Unsafe Homes

घरेलू हिंसा, भावनात्मक उपेक्षा और यौन शोषण की घटनाएं अक्सर घरों की चार दीवारी में ही होती हैं। जब घर की उसके लिए safe नहीं तो वह दुनिया से क्या क्या आस रखे?

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Mental Suppression and Self-Erasion

अक्सर समाज की कुटिल सोच के कारण बेटियाँ अपने सपनों, इच्छाओं और आवाज को दबा देती हैं क्योंकिं उन्हें सिखाया जाता हैं "अच्छी लड़की" वही हैं जो विरोध न करें।

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Policies Exist, Ground Reality Doesn't

'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ ' जैसी योजनाएं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर जागरूकता, निगरानी और क्रियान्वयन की कमी हैं। बदलाव सोच में आना आवश्यक न कि सिर्फ कागजों में ।

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Stories of Change

बेटियों को बचाना एक शुरुआत हैंं। समाज का असली उद्देश्य उन्हें गरिमा, अवसर और लीडर बनने के नए अवसर देना जिसमे वे स्वयं को बेहतर बना पाएं। एक लड़कीं की शिक्षा, पूरे समाज को बदल सकती हैं।

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