मिलिए सामाजिक हिंसा से लड़कर कानून को नया रुख देने वाली महिलाओ से
भारत में महिलाओं को रुढ़िवादी समाज का सामना करना पड़ता हैं। संविधान बनने से लेकर संशोधन तक आज भी महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के लिए कानूनों की जरूरत महसूस होती हैं। शाह बानो से लेकर वर्तमान तक ऐसे कई उदाहरण जिन्होंने इस व्यवस्था से संघर्ष किया हैं।