धारा 125 CrPC: शाह बानो केस ने बदली मुस्लिम महिलाओं की ज़िंदगी

1978 में इंदौर की 62 वर्षीय शाह बानो बेगम को उनके पति ने 43 साल की शादी के बाद तलाक दे दिया। मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तलाक के बाद गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी पति की नहीं थी, इसलिए शाह बानो ने न्याय के लिए धारा 125 CrPC के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।

Photo Credit : Pinterest

Legal Benefits: Right to Maintenance

अगर कोई महिला अपने पति से अलग रह रही हैं या तलाकशुदा हैं और खुद का भरण पोषण नहीं कर सकती, तो वह इस धारा के तहत अदालत में गुजारा भत्ता की मांग कर सकती हैं।

Photo Credit : Pinterest

No Religious Barrier: धर्म नहीं, अधिकार ज़रूरी हैं

यह धारा सभी नागरिकों पर बिना किसी धर्म के भेदभाव के लागू होती हैं, चाहे वह हिंदू हो, चाहे वह मुस्लिम हों या किसी अन्य धर्म की।

Photo Credit : Pinterest

Rights After Triple Talaq

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया हैं कि मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक के बाद इस धारा के तहत गुजारा भत्ता मांग सकती हैं, भले ही मुस्लिम महिला अधिनियम 2019 भी लागू हो

Photo Credit : Pinterest

Who Can Claim Maintenance?

पत्नी, नाबालिग बच्चे और माता-पिता भी इस धारा के तहत भरण पोषण मांग कर सकते हैं।

Photo Credit : Pinterest

Husband’s Responsibility

अगर पति सक्षम हैं लेकिन पत्नी को भरण-पोषण नहीं दे रहा, तो अदालत उसे आदेश दे सकती हैं कि वह हर महीने एक निश्चित राशि पत्नी को दे।

Photo Credit : Pinterest

Interim Maintenance

मुकदमे के दौरान भी महिला अंतरिम भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं, ताकि उसे तुरंत राहत मिल सके।

Photo Credit : Pinterest

Court Procedure: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर महिला को मिले न्याय

महिला को मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन देना होता हैं, जिसमें वह अपने हालात और पति की उपेक्षा का विवरण देती हैं।

Photo Credit : Pinterest