Breastfeeding Myths: जानें ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 5 मिथक

ब्रेस्टफीडिंग एक मां के लिए और उनके शिशु के लिए सबसे प्राकृतिक और पोषणपूर्ण तरीका है। तो आइये जानें ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 5 मिथक के बारे में। (Image Credit: Manmin Church Sweden)

मिथक: शिशु को अपनी माता के दूध से पेट भरने के लिए पर्याप्त दूध नहीं होता है।

ब्रेस्टफीडिंग में शिशु को बहुत छोटी मात्रा में ही दूध की आवश्यकता होती है। ब्रेस्टफीडिंग के बाद भी मां के ब्रेस्ट विकसित होते रहते हैं और बच्चे को पर्याप्त दूध मिलता है। (Image Credit: Twitter)

मिथक: मां के दूध में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं होते हैं।

मां के दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, और प्रोबायोटिक्स जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व शामिल होते हैं। (Image Credit: Manmin Church Sweden)

मिथक: ब्रेस्टफीडिंग से शिशु का वजन नहीं बढ़ता है।

ब्रेस्टफीडिंग शिशु के सही वजन और विकास में मदद करता है। मां के दूध में मात्रा और क्षमता को ध्यान में रखते हुए, शिशु को जरूरतों के अनुसार पर्याप्त दूध मिलता है। (Image Credit: annadesignstuff.com)

मिथक: ब्रेस्टफीडिंग से मां के ब्रेस्ट ढीले हो जाते हैं और आकार कम हो जाता है

ब्रेस्टफीडिंग से मां के ब्रेस्ट के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता है। शिशु के चुसाई द्वारा उत्पन्न होने वाली स्टिमुलेशन के कारण, ब्रेस्ट की टाइटनेस बढ़ सकती है। (Image Credit: Manmin Church Sweden)

ब्रेस्टफीडिंग के वजह से मां के शरीर में ताकत कम होता है।

ब्रेस्टफीडिंग करने से मां को ताकतवर रहने के लिए विशेष आहार की जरूरत होती है, लेकिन इससे मां को ताकत की कमी होने का कोई सीधा संबंध नहीं होता है। (Image Credit: UNICEF)