कैसे Constant Criticism भी एक तरह का एब्यूज है?
ग्रोथ के लिए क्रिटिसिज्म का होना भी जरूरी है लेकिन जब यह क्रिटिसिजम आपके व्यवहार पर न होकर, व्यक्तित्व पर हो जाता है तब यह गलत हो जाता है। आईए जानते हैं कैसे यह एब्यूज फॉर्म धारण कर लेता है-
ग्रोथ के लिए क्रिटिसिज्म का होना भी जरूरी है लेकिन जब यह क्रिटिसिजम आपके व्यवहार पर न होकर, व्यक्तित्व पर हो जाता है तब यह गलत हो जाता है। आईए जानते हैं कैसे यह एब्यूज फॉर्म धारण कर लेता है-
क्रिटिसिज्म मिलते रहने से आपके ओपिनियन और थॉट को इनवेलिड मान लिया जाता है और हमेशा आपको नीचा दिखाया जाता है।
इसमें आपकी रियलिटी को झूठ ही बना दिया जाता है और या फिर उस पर सवाल उठाए जाते हैं।
जब आपके हर काम पर सवाल उठाए जाते हैं, इससे आपका सेल्फ एस्टीम कम हो जाता है। आपको लगता है कि मैं हमेशा ही गलत हूं या मैं कुछ नहीं कर सकता।
आपके लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है जो अभद्र होती है जिसका मुख्य उद्देश्य आपको नीचा दिखाना और छोटा महसूस करवाना है।
जिस व्यक्ति को कांस्टेंट क्रिटिसिज्म मिलता है, वह दूसरों से खुद को अलग कर लेता है और अकेले रहना शुरू कर देता है।
इससे स्ट्रेस और एंजायटी बनी रहती है क्योंकि आपको हमेशा ही गलत बोला जाता है या फिर सवाल उठाए जाते हैं।
आपको अपने हर डिसीजन और विचार पर डाउट उठने लग जाता है जिसके कारण आपको अपने फैसले लेने में परेशानी होती है।
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