Period Myth: जाने पीरियड मिथ का असली सच
पीरियड्स में अक्सर कई सारे मिथ होते हैं जो हमारे स्वास्थ और लाइफस्टाइल के लिए सही नहीं है। इससे हमारे मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ता है।
पीरियड्स में अक्सर कई सारे मिथ होते हैं जो हमारे स्वास्थ और लाइफस्टाइल के लिए सही नहीं है। इससे हमारे मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ता है।
पीरियड्स में ज्यादा काम करने के लिए इसलिए रोक जाता है क्योंकि शरीर को आराम चाहिए होता है पर थोड़ा एक्सरसाइज करने से दर्द में राहत मिलती है।
बाल धोने पर अक्सर रोक लगाई जाती है पर इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। बाल धोने से कुछ लोगों को दर्द में राहत मिल सकती है और अच्छा महसूस हो सकता है।
ये बिल्कुल गलत है कि पीरियड ब्लड गंदा होता है। हमारे शरीर से निकलने वाले अन्य खून की ही तरह वो भी साफ और स्वच्छ होता है।
मंदिर जाने पर रोक इसीलिए नहीं लगाया जाता क्योंकि महिला पीरियड्स में है बल्कि इसलिए लगाया जाता है क्योंकि उसके शरीर को आराम की आवश्यकता होती है।
पीरियड्स कोई छिपाने की चीज नहीं है। ये एक नेचुरल प्रक्रिया है जो रिप्रोडक्शन में मदद करती है और बिल्कुल भी शर्मनाक नहीं होता।
पीरियड्स में अक्सर ये कहा जाता है कि महिलाओं को खट्टा नहीं खाना चाहिए। पर इसका कोई असर नहीं होता है पीरियड्स पर। आपका फ्लो खट्टा खाने से नहीं बढ़ता।
पीरियड्स में पौधों के पास जाने से कोई नुकसान नहीं होता है। पौधों के पास जाकर उनकी सेवा करके महिलाओं को अच्छा फील हो सकता है।