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भारत में लिंग समानता एक प्रमुख मुद्दा रहा है लेकिन कुछ महिलाएं हमेशा बाधाओं को तोड़ने और उन क्षेत्रों में प्रवेश करने में कामयाब रही हैं जो परंपरागत रूप से पुरुषों के लिए आरक्षित हैं. इन महिलाओं ने असामान्य व्यवसायों और अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता दर्ज करने में बहुत साहस दिखाया है. भारत की ऐसी ही 5 अग्रणी महिलाएं हैं
Pic credits : IDiva
वैश्विक स्तर पर आज 130,000 एयरलाइन पायलटों में से 4,000 महिलाएं हैं. 21 वीं शताब्दी में लगभग डेढ़ दशक बाद भी दुनिया अभी भी महिला पायलटों के लिए तैयार नजर नही आ रही है. लेकिन भारत की आजादी के कुछ ही वर्षों बाद ही भारत को अपनी पहली महिला पायलेट मिल गई. कैप्टन प्रेम माथुर कमर्शियल पायलट बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने डेक्कन एयरवेज के लिये 1951 में उड़ान भरना शुरु किया. इसके पहले 1947 में उन्होंने अपना वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया और 1949 में नेशनल एयर रेस जीती.

वह शायद हमारे समय की सबसे लोकप्रिय भारतीय महिला हैं . राजनीति विज्ञान व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू करना वाली किरण बेदी जुलाई 1972 को भारतीय पुलिस सेवा में आ गई और पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन गई. बाद में वह संयुक्त राष्ट्र शांति कार्य संचालन में नागरिक पुलिस सलाहकार भी रही. 2007 में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने से पहले बेदी ने कई पदों पर काम किया.

1989 में भारत को अपनी पहली महिला सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश, एम फातिमा बीवी मिली. उन्होंने केरल में निचली न्यायपालिका में अपने करियर की शुरूआत की और बाद में 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बन गई. 1984 में वह उच्च न्यायालय की स्थायी न्यायाधीश बन गईं और सिर्फ पांच साल बाद 6 अक्टूबर को न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया, जहां वह 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुईं.

पुनीता अरोड़ा भारतीय सर्वोच्च सशस्त्र बल की लेफ्टिनेंट जनरल और बाद में भारतीय नौसेना की वाइस एडमिरल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बनी. 1963 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे में नियुक्त होने के उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल में 36 साल का समय गुजारा जिसमें उन्हें 15 पदकों से सम्मानित किया गया.

बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ 1 अरब डॉलर के नेट वर्थ तक पहुंचने वाली पहली भारतीय व्यवसायी बनी. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बलारेट कॉलेज आफ एडवांसड एजुकेशन से मेलटिंग और ब्रूइंग का अध्ययन किया. वह पूरे कोर्स में एक मात्र महिला थी. अपने उद्यम को शुरू करते समय बड़ी परेशानियों का सामना करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और वर्तमान में देश के सबसे सफल उद्यमियों में से एक हैं.
पहली महिला पायलट- प्रेम माथुर

वैश्विक स्तर पर आज 130,000 एयरलाइन पायलटों में से 4,000 महिलाएं हैं. 21 वीं शताब्दी में लगभग डेढ़ दशक बाद भी दुनिया अभी भी महिला पायलटों के लिए तैयार नजर नही आ रही है. लेकिन भारत की आजादी के कुछ ही वर्षों बाद ही भारत को अपनी पहली महिला पायलेट मिल गई. कैप्टन प्रेम माथुर कमर्शियल पायलट बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने डेक्कन एयरवेज के लिये 1951 में उड़ान भरना शुरु किया. इसके पहले 1947 में उन्होंने अपना वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया और 1949 में नेशनल एयर रेस जीती.
प्रथम आईपीएस अधिकारी- किरण बेदी

वह शायद हमारे समय की सबसे लोकप्रिय भारतीय महिला हैं . राजनीति विज्ञान व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू करना वाली किरण बेदी जुलाई 1972 को भारतीय पुलिस सेवा में आ गई और पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन गई. बाद में वह संयुक्त राष्ट्र शांति कार्य संचालन में नागरिक पुलिस सलाहकार भी रही. 2007 में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने से पहले बेदी ने कई पदों पर काम किया.
पहली सुप्रीम कोर्ट जज- फातिम बीवी

1989 में भारत को अपनी पहली महिला सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश, एम फातिमा बीवी मिली. उन्होंने केरल में निचली न्यायपालिका में अपने करियर की शुरूआत की और बाद में 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बन गई. 1984 में वह उच्च न्यायालय की स्थायी न्यायाधीश बन गईं और सिर्फ पांच साल बाद 6 अक्टूबर को न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया, जहां वह 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुईं.
पहली लेफ्टिनेंट जनरल, भारतीय सेना - लेफ्टिनेंट पुनीता अरोड़ा

पुनीता अरोड़ा भारतीय सर्वोच्च सशस्त्र बल की लेफ्टिनेंट जनरल और बाद में भारतीय नौसेना की वाइस एडमिरल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बनी. 1963 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे में नियुक्त होने के उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल में 36 साल का समय गुजारा जिसमें उन्हें 15 पदकों से सम्मानित किया गया.
डालर 1 बिलियन नेट-वर्थ वाली पहलीबिज़नेसवुमेन- किरण मजूमदार शॉ

बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ 1 अरब डॉलर के नेट वर्थ तक पहुंचने वाली पहली भारतीय व्यवसायी बनी. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बलारेट कॉलेज आफ एडवांसड एजुकेशन से मेलटिंग और ब्रूइंग का अध्ययन किया. वह पूरे कोर्स में एक मात्र महिला थी. अपने उद्यम को शुरू करते समय बड़ी परेशानियों का सामना करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और वर्तमान में देश के सबसे सफल उद्यमियों में से एक हैं.