Advertisment

क्यों हर बार होती है पित्र्सतात्मक सोच की जीत?

author-image
Swati Bundela
New Update
Advertisment




“हम तो उसे नहीं रखंगे।”
Advertisment


“अब कैसे उसे घर में रख ले?”



Advertisment

“लड़के ने कहा था वो उसे रखेगा।”



और अगर सामाजिक नियमों के खिलाफ जाए, तो हर कोई उसे नहीं रखने की बात करता क्यों करता है?

Advertisment


ये है हमारे समाज की पित्र्सतात्मक सोच की जीत, जिसमे हर बार हार लड़कियों या महिलाओं की ही होती है।



Advertisment

ऐसा ही कुछ सामने आया चित्रकूट जिले के ब्लाक मऊ गांव बोझ मजरा अवरी में, जहां एक लड़के और लड़की के बीच के तीन साल पुराने रिश्ते को एक सनसनी प्रेम प्रसंग बना करार दिया गया है। वोही घिसी पिटी कहानी जिसमें, दोषी लड़की और खलनायक लड़का होता है, पर सिर्फ लड़की इसका भुगतान ज़िन्दगी भर करती है।



इन दोनों की प्रेम कहानी घर और गांव वालों को तब पता चली जब लड़की गर्भवती हो गई। परिवार वालों के डर से, उसने घर पर ये बात नहीं बताई, और लड़के से कहकर गर्भपात करने की नाकाम कोशिश भी की। वहीँ लड़के ने घर-समाज के तानो से बचने के लिए, घबराकर, लड़की से अपना रिश्ता तोड़ दिया। आखिर में लड़की ने अपने भाभी से पूरी बात बताई, और फिर शुरू हो गया घर-परिवार-गांव का शोर-गुल।

Advertisment


जन हम वहां रिपोर्ट करने गए, तब हमें लड़की के परिवार वालों ने कहा कि वो लड़के के खिलाफ केस करेंगे। पर अगर वो उनकी लड़की को “रख” ले, तो नहीं करेंगे। वहीँ लड़के के माता-पिता अपनी बात पर कायम रहतें हैं कि मनोज, और लड़की, जिसे अब एक शिकायतकर्ता करार दिया गया है, के बीच कभी कोई रिश्ता था ही नहीं। “कभी घर से बाहर ही नहीं जाता था”, कहती हैं उनकी माँ विटोल, यक़ीनन एक अजीब बात।



Advertisment


लड़की की बुआ ने हमें बताया कि लड़के ने “शादी के वादे” किये थे, और सिर्फ इस वजह से, उनकी लड़की बहक गई, यक़ीनन एक और अजीब बात। क्योंकि जब समाज में शादी से पहले सेक्स की मनाई है, तो मजबूरन लोगों को अजीब कारण ढूँढने भी पड़ते हैं, और कहानियां भी रचनी पड़ती हैं।



क्योंकि लड़की कोल समुदाय से है और लड़का यादव तो इनकी उलझी हुई कहानी में जात का विवाद भी आ गया और अब कार्रवाही की बात हो रही है। कविता, शिकायतकर्ता की बुआ, जो बहुत गुस्सा हैं, कहती हैं, “अकसर उच्च जाति के लड़के हमारी जाति लडकियों के साथ ऐसा करते है और करके छोड़ देते हैं। हमारी लड़की को न्याय मिलना चाहिए, और इस न्याय के लिए जहां तक जाना होगा वहां तक हम जायेंगे।” और इस सब के बीच में पड़ोसियों का घुसना तो बेशक ज़रूरी हो जाता है, सब पहुंच जाते है अपनी अपनी टिपण्णी लेकर, कहते हैं ना काम बनाना नहीं आता, तो बिगाडिये तो नहीं! लेकिन समाज के ये पहरेदार ऐसा नहीं सोचते। जैसे आनंद ने हमसे कहा, “या तो ये बच्ची को रखे या फिर लड़के को जेल में ठूसा जाए, बस दो में से एक ही बात हो सकती है।”





समाज ने अपनी राय सुना दी है और लड़की के घरवाले लड़की को दोषी ठहरा रहे हैं।



घर परिवार से कलंक कब मिटेगा, इसी चिंता के बीच लड़की का क्या होगा? उसके होने वाले बच्चे का क्या होगा? या उसके मनोज के साथ तीन साल पुराने रिश्ते का क्या होगा? इसकी फ़िक्र किसी को नही है। लड़की के पिता अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहतें हैं, “हमारा सब कुछ खो चूका है। हमे धन दौलत कुछ नही चाहिए, बस वो लड़का चाहिए और हमारी लड़की को ले जाये वो। उसके बाद लड़का जाने हमारी लड़की जाने, हमे इससे मतलब नही है।”



 
she the people bundelkhand Khabhar Lahariya india unheard india's hindi feminist newspaper stories of impact
Advertisment