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भारत की कोकिला : सरोजिनी नायडू

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Swati Bundela
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जब हमें भारत की स्वतंत्रता सेनानी की बात करते हैं, ऐसे बहुत ही कम नाम है जिनको याद किया जाता है. महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और भगत सिंह. ऐसे कई और नाम भी हैं. हो सकता है उनपर कोई फिल्म ना बनी हो पर भारत को स्वतंत्र बनाने में उनका योगदान महत्वपुर्ण है. सरोजिनी नायडू भी उन में से एक है.

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उनके जन्मदिन के अवसर पर, उनकी कुछ महान उपलब्धियों के बारें में जानिए

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सरोजिनी नायडू के माता पिता बंगाली थे पर उनका जन्म हैदराबाद में हुआ. नायडू का बचपन रूढ़िवादी नही था. वह इंग्लैंड में बड़ी हुई और उनकी अंतर्जातीय शादी हुई. पर उन्होंने अपनी शादी को अपने सपनों के बीच नहीं आने दिया.



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नायडू ने १२ साल की उम्र में लिखना शुरू किया. उनका फ़ारसी प्ले,"महेर मुनीर" हैदराबाद के नवाब को बहुत पसंद आया जिसने उन्हें बाहर रहने का अवसर दिया. सरोजिनी नायडू अपनी कवितओं और राजनैतिक करियर के लिए बहुत प्रसिद्ध है. उनकी कवितायेँ अकैडमिक्स की दुनिया में प्रचलित हैं.



१९०५ में बंगाल का पार्टीशन इंडिपेंडेंस हिस्ट्री का सबसे दुखद घटना रह चुकी है. इस घटना के बाद सरोजिनी नायडू ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया और भारत के विभिन्न क्षेत्रो में जाकर लोगों को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.

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१९३० में जब महात्मा गाँधी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया तो वह उस आंदोलन की विशेष प्रतिभागी थी. वह उनके साथ फर्स्ट राउंड टेबल कांफ्रेंस में भी शामिल हुई. "भारत छोड़ो आन्दोलन" के समय उनको जेल में भी दाल दिया था पर वह अपनी स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करती रही.



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उनके जन्मदिन के अवसर पर, उनकी कुछ महान उपलब्धियों के बारें में जानिए-:



उनकी पहली किताब कविताओं का संग्रह है. उसका नाम था "द गोल्डन थ्रेसहोल्ड" और यह १९०५ में पब्लिश हुई थी.

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1925 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की पहली भारतीय महिला राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया था।



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उन्होंने "महिलाओं की इंडियन एसोसिएशन" की स्टेफन में अहम् भूमिका निभाई.



प्लेग महामारी में उनके काम को मान्यता देने के लिए अंग्रेजों ने कैसर-हिन्द मैडल से सम्मानित किया.



ऐसी बहुत ही कम महिलाएं हैं जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे रही, इसके मुख्या कारण थे - शिक्षा की कमी और महिलाओं पर लगायी



समाजिक प्रतिबन्ध. भारत को आज़ादी दिलवाने के लिए भारत के प्रयासों और बाद में भारत के विकास के लिए उनके काम एक मिसाल हैं. एक महिला और एक नेता होने के स्टार से उन्होंने यह साबित कर दिया की प्रतिभा और समर्पण से कुछ भी मुमकिन हो सकता है.

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