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भारत की मुख्य महिला रैली ड्राइवर बानी यादव के विषय में जानिए

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Swati Bundela
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 बानी माथुर यादव  भारत की  सबसे प्रमुख महिला ड्राइवर्स में से एक है. वह अकेली एक ऐसी महिला ड्राइवर हैं जिन्होंने 2015 में इंडियन रैली चैंपियनशिप - एशिया कप जीता था. वह दो बच्चों की माँ हैं और वह कुछ अनोखा करने में विश्वास रखती हैं. भारत की मात्र एक ऐसी महिला है जिन्होंने सभी बड़ी रैली जीत ली  है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया के द्वारा लिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा-:



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इस खेल को पुरुषों का खेल माना जाता है और पुरुषों को महिलाओं के विपरीत हारना पसंद नहीं है. पुरुषों के अनुसार यह अच्छा है कि महिलाएं अलग अलग  क्षेत्रों में हिस्सा ले रही हैं और अपना नाम बढ़ा रही हैं परंतु वह उनके द्वारा स्वयं को हारता हुआ नहीं देख सकते. उनके अनुसार महिलाओं के लिए प्रोफेशनल रेसिंग मात्र एक हॉबी है.  परंतु यदि कोई महिला उस रेस में जीत जाती है तो वह इसे हजम नहीं कर पाते.



बानी यादव ने 4 साल पहले ही वाली रेसिंग करना शुरू किया.  वह बहुत अच्छे से रैलिंग और अपने परिवार के बीच नियंत्रण बना पाती हैं.  उन्हें रैली रेसिंग करने की प्रेरणा अपने पिता से  मिली. परंतु उनके पति ने उन्हें अपने सपने को पूरा करने  के लिए प्रोत्साहित किया. बानी बताती हैं कि किस प्रकार अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने बेटों के बड़े होने का और आर्थिक रूप से स्थिर  होने का इंतजार किया.

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एक रैली के बाद उनके शरीर से कुछ किलोग्राम कम हो जाते हैं.  परंतु उसके बाद वह चॉकलेट ,हेल्थ बार, दूध और पानी लेती है.  उनका  जान अपने एनर्जी लेवल को हाय रखने में होता है. वह  सुबह 4:00  बजे उठकर सैर पर जाती हैं.



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उन्हें अपनी नेविगेटर सुख बंस मन पर पूरा भरोसा है.  वह अपनी इस टीम को दर रेट डेविल्स कहती हैं.  वह मन को अपनी बेटी की तरह मानती हैं.





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उन्हें माइकल जैक्सन ब्रूस स्प्रिंगस्टीन और जॉर्ज माइकल जैसे गायकों का गीत सुनना बहुत पसंद है.



वह स्वयं को पराजित करने में विश्वास रखती हैं.  वह इस बात को मानती है कि वह अपने पुरुष और महिला प्रतीतोगियों के बीच फर्क नहीं करती . परंतु कभी-कभी उनके  उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी पिछली परफॉर्मेंस से बेहतर पर्फॉर्मेंस देने की होती है.

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वह अपने काजल के बिना कहीं भी बाहर नहीं जाती. उन्हें अन्य लोगों से विरोध का सामना करना पड़ा परंतु इसके बावजूद भी वह जीती.  उनके अनुसार मनुष्य का लिंग उनकी क्षमताओं को परिभाषित नहीं करता.



 
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