Advertisment

महिला सम्मान के लिए राजनीति में हूँ: रानी कनोजिया

author-image
Swati Bundela
New Update
Advertisment


मर्दाना अंदाज, गरम तेवर और आत्मविश्वास से भरी हुई हैदरगढ़ की रानी कनोजिया का नाम बाराबंकी क्षेत्र में जाना पहचाना है और हो भी क्यों नहीं वह इस इलाके में राजनीति से जुड़ने के साथ खुद का एक पेट्रोल पंप भी चलाती हैं। उनका ये पेट्रोल पंप हैदरगढ़ से आठ किलोमीटर दूर दादूपुर गांव में है। बुलंद आवाज वाली रानी अपने राजनीतिक सफर को पूर्ण बहुमत, भारी वोट, निर्विरोध जीत, परिवार और जनता का पूरा सहयोग जैसे शब्दों में बयां करती हैं।



Advertisment

उन्होंने 1994 में राजनीति में निर्दलीय ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव जीता। वहीं से रानी ने राजनीति में अपने सफर की शुरुआत करते हुए 2000 में हफ्ते भर के प्रचार के बाद क्षेत्र पंचायत का चुनाव जीत गई। 2001 में ब्लॉक प्रमुख का चुनाव रानी ने जीता। पर 2003 में बहुजन समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया। पर रानी ने जनता के सहयोग से और अधिक वोटों से इस चुनाव में अपनी जीत को बनाए रखा।



रानी इस अविश्वास प्रस्ताव की वजह बताते हुए कहती हैं, “बसपा उन्हें सिर्फ एक रबर स्टाम्प की तरह इस्तेमाल करना चाहती थी। पर मुझे मोहरा बनना स्वीकार नहीं था।”

Advertisment


रानी का इस क्षेत्र में जनाधार हैं, जिसके कारण उन्होंने ब्लॉक प्रमुख का चुनाव पुरुष सीट पर पुरुषों से ज्यादा वोट हासिल कर के जीता था।



Advertisment

उच्च जाति की और संपन्न परिवारिक पृष्ठभूमि वाली रानी जिला बिजनौर के धामपुर तहसील की बेटी हैं। वह 1989 में शादी करके हैदरगढ़ आ गई थी।



रानी ने इस इलाके में महिला के अधिकारों और उत्थान पर काम किया है। वह कहती हैं, “जब मैं शादी करके यहां आई थी तो यहां की सभी महिलाएं घरों से कम ही बाहर निकलती थी और निकलती भी थी तो सिर को सफेद चादर से ढककर ही रखती थी।” उन्होंने महिलाओं को अपनी बात रखने की हिम्मत दी।

Advertisment


रानी खुद के जेल जाने और अपनी  कुटाई करने की बात बताते हुए कहती हैं, “मैं जनता की समस्या के लिए तहसीलदार के आवास में गई थी, तो वहां एक नयाब तहसीलदार सर्वेष कुमार मिश्रा ने पीछे से आकर मेरे कंधे में हाथ रखा। मैंने विरोध किया तो वह बोले कि मैं तो पूरा हाथ रखना चाहता था। अब तो इतने में भी विरोध करने लगी। उसकी इतनी बात सुनकर मैंने उसे दो थप्पड़ मार दिए।”



Advertisment

उसके बाद तहसीलदार की ताकत के कारण रानी को 28 दिनों तक जेल में रहना पड़ा, पर महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ने का रानी के जज्बे में कोई कमी नहीं आई।  हस्टपुस्ट शरीर और माथे में लम्बी सिंदूर की बिंदी लगाने वाली रानी महिला सशक्तिकरण के लिए गांव की हर महिला को सशक्त बनाने की बात कहते हुए कहती हैं, “महिलाओं की मदद के लिए मेरे दरवाजे हमेशा के लिए खुले हैं।”



रानी भारतीय जनता पार्टी की लहर से जुड़ चुकी है और खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सेना का सिपाही कहती हैं। उन्हें उम्मीद हैं कि आने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।

Advertisment


साभार- खबर लहरिया



 
खबर लहरिया bundelkhand महिला सम्मान रानी कनोजिया
Advertisment