Advertisment

वनिता मैथिल महिला सशक्तिकरण की और एक बड़ा कदम

author-image
Swati Bundela
New Update
केरल में महिलाओं ने लैंगिक समानता पर जोर देने के लिए, वनिता मैथिल या वीमेन वाल यानि एक 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई.

Advertisment


महिलाओं ने केरल के सभी 14 जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे एक-दूसरे का हाथ पकड़कर भाग लिया. उन्हें समाज और प्रशासन को अपने अस्तित्व की याद दिलाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है. लंबे समय से हमारे देश में महिलाओं ने लिंग पर भेदभाव व उत्पीड़न को सहा है. और सबरीमाला मामला एक आखिरी कड़ी थी.



सबरीमाला में प्रवेश करने से महिलाओं को रोकना दिखाता है कि समाज की पितृसत्ता महिलाओं पर अब भी दबाव बनाये रखना चाहता है.
Advertisment


महिलाओं का संगठित विरोध



हमारे देश में 2018 में महिला-केंद्रित मुद्दों चर्चित रहे. सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ रूम तक, हर जगह लिंग हिंसा और उत्पीड़न जैस विषयों को उछाला गया. हकीकत में हमारे पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के सशक्तीकरण का कोई समर्थन नहीं. यह हम सबरीमाला मंदिर के आसपास खड़े कई पुरुषों, जो महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक रहे है, के रूप में देख सकते है.
Advertisment




सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, दक्षिणी भारतीय समाज ने महिलाओं को सबरीमाला से बाहर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी. विरोध से ज़्यादा उनका विरोध का तरीका निराशाजनक था.

Advertisment

पितृसत्तात्मक मान्यताओं के खिलाफ एकता



लेकिन महिलाएं ने आक्रामकता या अहंकार को नहीं, बल्कि इन पितृसत्तात्मक मान्यताओं के खिलाफ लड़ाई में एकता को हथियार बनाया.

Advertisment


महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर एक-दूसरे का हाथ थामे रहीं, उन्होंने कहा कि अब वे जुल्म नहीं सहेंगी. महिलाओं की दीवार सिर्फ एकता नहीं, बल्कि एक महान प्रभाव पैदा करती है, पुरुष शारीरिक प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए. और समाज के उस वर्ग को दिखाने के लिए जो अभी भी पितृसत्तात्मक मान्यताओं का पालन करता है. महिलाएं सड़क पर शांति से खड़े है,क्योंकि बल और हिंसा से आपका तर्क कमजोर हो जाता है.

वनिता मैथिल महत्वपूर्ण है

Advertisment


वनिता मैथिल पुरुषों को बताता है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण का विरोध करते हैं, कि हम आसानी से नहीं डरेंगे. हमने अब हिंसा और उत्पीड़न को सहन करने से इंकार कर दिया है. इसके अलावा, यह अन्य भारतीय महिलाओं को बताता है कि लैंगिक समानता के लिए लड़ने के लिए, हमें एक एकीकृत रुख की जरूरत है.

हम अकेले नहीं हैं, न ही कमजोर है. एकसाथ रहकर, हम हर हुकूमत, हर खतरे और हिंसा के हर कदम से लड़ सकते है.

Advertisment


फोटो क्रेडिट: द इंडियन एक्सप्रेस



(यह लेख यामिनी पुस्तके भालेराव ने अंग्रेजी में लिखा है)
सबरीमाला वीमेन एंट्रेप्रेन्यूर्स सबरीमाला फैसला केरल पितृसत्तात्मक पितृसत्तात्मक मान्यताओं वनिता मैथिल सबरीमाला मंदिर
Advertisment