इस स्वतंतरा दिवस शी द पीपल की यह ख़ास प्रस्तूति ' सा रे जहाँ से अछा' - वैसे तो अन्य सेलेब्रिटी और बोल्लयऊूद के हीरो हेरोयिन देश के गाने गाते हुए दिहत्ते है किंतु यह प्रस्तूति आज तक नही पेश की गयी जहाँ महीलायें - उध्यामि, लेखक, गायक, बिज़्नेस वुमन, पत्रकार, टीचर, दुकानदार - एक साथ सा रे जहाँ से अच्छा गेया रही है. शी द पीपल ने इनडिपेंडेन्स दे के लिए इन सब औरतों को एक साथ लेकर, प्रगया और परोमा दासगुप्ता की आवाज़ में मोहमम्मद इक़बाल के यह गाने को एक ख़ास रूप दिया है.
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी वो गुलसिताँ हमारा
ग़ुरबत में हों अगर हम रहता हो दिल वतन में समझो वहीं हमें भी दिल है जहाँ हमारा
परवत वो सब से ऊँचा हम साया आसमाँ का वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा
गोदी में खेलती है इसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन हैं जिनके दम से रश्क-ए-जहां हमारा
ए आब-ए-रूद-ए-गंगा वो दिन है याद तुझको? उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशान हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा
इक़्बाल कोई मेहरम अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा