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सौंदर्या रजनीकांत उनके पहले प्यार के बारे मे, गोल्फ!

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Swati Bundela
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प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत, की छोटी बेटी सौंदर्या रजनीकांत एक फिल्म ग्रॅफिक डिज़ाइनर, प्रोड्यूसर और डाइरेक्टर है जिनका पहले ही तमिल फिल्म इंडस्ट्री मे काफ़ी योगदान रह चुका है. इस बार सुहैल चंडोक ने उनसे उनके पहले प्यार के बारे मे बातचीत की...उनका यशस्वी खेल - गोल्फ.

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कहा और कैसे इस खेल की शुरुवत हुई, जबकि आपका पूरा परिवार फिल्म और कला मे शामिल है?



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मेरा गोल्फ की और ध्यान तबसे विकसित हुआ जबसे मैने उसे टीवी पर देखना चालू किया. मेरे चारो और सब लोगो ने कहा की यह 'बुज़ुर्गो का खेल' या 'एक स्लो खेल' है पर मुझे ये अत्यंत दिलचस्प खेल लगा.



आपने यह खेल तबसे खेलना चालू किया जब ये खेल लोकप्रिय नही था, किस बात ने आपका ध्यान इस खेल की तरफ आकर्षित किया?

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मेने गोल्फ 15 साल पहले खेलना चालू किया था, मे ये नही कहूँगी की तब खेल लोकप्रिय नही था, जब मेने कोचैंग लेना चालू की तब मेरी उम्र के काफ़ी लोग वहा मौजूद थे. मेरे माता-पिता ने मेरा बहुत समर्थन दिया और हमारा क्लब काफ़ी सारी टर्नमेंट्स आयोजित करता था जिससे हमे बेहतर खेलने का बढ़ावा मिलता था.



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आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया थी जब आपने ये खेल खेलना चालू किया जबकि आपकी बेहेन भी डॅन्स सीख रही थी? क्या आपके परिवार मे कोई ऐसा सदस्य था जो ये खेल खेलता था जिससे आप प्रभावित हुई?



जब मेने यह खेल खेलना चालू किया तब मेरे परिवार मे या पूरी तमिल फिल्म इंडस्ट्री मे यह खेल कोई नही खेलता था. मेरे पिता ने मुझे बहुत बढ़ावा दिया और मेरी पहली गोल्फ कीट भी उन्होने ही खरीदी थी जब हम लंडन मे घूम रहे थे. यह कीट मेने ऐसे ही खरीदी थी क्यूकी मुझे इसका कलर बहुत अछा लगा. तब मुझे खेल की महत्वता और बारीकी तकनियो के बारे मे नही पता था लेकिन फिर भी मे इस कीट को हमेशा अपने पास रखूँगी.

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क्या कभी आपने इस खेल मे करियर बनाने के बारे मे सोचा है? किन कठिनाइयों से आपको सामना करना पड़ा?



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हा, बल्कि मैने इसके बारे मे काफ़ी गंभीरता से सोचा है. मेरी मा के लिए कठिनाई सिर्फ़ इतनी थी की मुझे इसके लिए घर से दूर जाना पड रहा था. इस खेल की कोचैंग लेने के लिए मैने एकसाथ 3 महीने सिंगापुर मे भी गुजारे थे. वह मेरे लिए काफ़ी अछा अनुभव था और मैने काफ़ी कुछ सीखा वहा से.



रिसर्च बताता है की महिलाए यह खेल काफ़ी सारे कारणो की वजह से खेलती है जैसे जनरल वेल बीयिंग और फिटनेस, खेल के चॅलेंज या सोशियल इंटरॅक्षन के लिए - किस पहलू से आप संबंधित है?

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कोई भी खेल हो, आप काफ़ी सारे लोगो से मिलते और बातचीत करते हो जिनकी दिलचस्पी समान होती है. गोल्फ जितना आसान खेल दिखता है उतना है नही, लेकिन फिर भी लोग इसे बहुत मूल्यवान समजते है. गोल्फ खेलने के लिए सिर्फ़ 18 होल्स चलने की सहनशक्ति ज़रूरी नही बल्कि माइंड पे कंट्रोल रखना भी बहुत ज़रूरी है और इसकी बड़ी चुनौती यह है की खिलाड़ी यह खेल खुद अपने आपसे खेलता है!



आपके मनपसंद गोल्फ के मैदान और स्थान कौँसे है? इंडिया और विदेश मे?



मुझे सिंगापुर के गोल्फ मैदान बहुत पसंद है. वह बहुत ही सुंदर होते है और खेलने के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण भी होते है. मे पढ़ने के लिए पर्त, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया भी गई थी, जहाके गोल्फ मैदान भी बहुत सुंदर है. इंडिया मे मुझे बॅंगलुर मे खेलना बहुत अछा लगता है. गोल्फ के खेल मे मौसम का भी मुख्य अंश होता है यह देखने के लिए की कितने हरे मैदान है और बेशक, कोदैयकनाल!!!



अब आप फिल्म्स की दुनिया मे आ गयी हो और एक मा भी हो, क्या आपको गोल्फ मैदान की कमी महसूस नही होती या आपको कभी कुछ समय मिल जाता है गोल्फ खेलने के लिए?



पिछले कुछ सालो से मे नियमित तरीके से गोल्फ नही खेल रही हू और अब मा बनने के बाद काफ़ी मुश्किल हो गया है. लेकिन मेरा प्रयास है की मे जल्द ही गोल्फ के मैदान मे लौटू और पूरी स्फूर्ता के साथ खेलती रहु!!!



आपके हिसाब से महिलाओ के लिए गोल्फ खेलने की सबसे बड़ी चुनौती क्या है इंडिया मे?



कोई भी हो आदमी या औरत, गोल्फ खेलने की सबसे बड़ी चुनौती है उसकी फीस. गोल्फ एक बहुत ही महेंगा खेल है जिसकी क्लब फीस, बॉल और आक्सेसरीस बहुत ही कीमती होती है. यह एक कारण हो सकता है की काफ़ी लोग इससे दूर रहते है या इसका हिस्सा नही बनते है.



आखरी सवाल, गोल्फ की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ रही है इंडिया मे, लेकिन आपके हिसाब से हमे क्या करना चाहिए ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओ को बढ़ावा देने के लिए और उन्हे इस खेल की तरफ आकर्षित करने के लिए ताकि वो ये ना सोचे की ये सिर्फ़ 'मर्दो' का खेल है?



आज ज़रूरी है की स्कूल्स अलग तरह के स्पोर्ट्स को बढ़ावा दे. गोल्फ के कॅंप्स आयोजित करने चाहिए सारे शहरो मे. गोल्फ बचपन से ही सीखा जा सकता है और यह होना भी चाहिए. गोल्फ खेलने के बाद ही यह ग़लतफहमी दूर हो सकती है की वह एक स्लो खेल है. गोल्फ के इंटरॅक्टिव इवेंट्स भी प्लान करने चाहिए ऑल ओवर कंट्री मे. अगर हमारे पास एक या दो महिला खिलाड़ी हो जो वैश्विक निशान बनाए तो वह सबसे बड़ी सफलता होगी महिलाओ के लिए इंडिया मे. उम्मीद है की यह जल्दी होगा!



 



 
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