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आज केरल में पहला मानव दुग्ध बैंक (human milk bank) शुरू किया गया : केरल की स्वास्थ्य मंत्री के. के शैलजा ने आज कोची में, केरल के पहले मानव दुग्ध बैंक का एर्नाकुलम के सामान्य अस्पताल में उद्घाटन किया। रोटरी क्लब ऑफ कोचीन ग्लोबल के सहयोग से स्थापित किए गए दुग्ध बैंक, नवजात बच्चों के लिए स्तन का दूध सुनिश्चित कराते हैं। मानव दुग्ध बैंक की यह अवधारणा 32 साल पहले भारत आई थी, लेकिन केरल में अब तक दूध बैंक नहीं था।
मानव दुग्ध बैंक का अस्पताल में होना बेहद जरूरी होता है। जिन नवजात शिशुओं की माताएँ किसी कारणवश उनको स्तनपान नहीं करा पाती, ऐसे शिशुओं को मानव दुग्ध बैंक से ही स्तन का दूध सुनिश्चित कराया जाता है। राज्य सरकार के अनुसार लगभग 3,600 बच्चे सामान्य अस्पताल में एक साल में जन्म लेते हैं और 600 से 1,000 बीमार बच्चों को एनआईसीयू (Neonatal intensive care unit) में भर्ती किया जाता है।
रोटरी कोचीन ग्लोबल की डॉ. पॉल पी जी कहती हैं - ''मानव दुग्ध बैंक में मिलने वाला स्तन का दूध नवजात शिशुओं को तमाम तरह के इन्फेक्शन से बचाता है और साथ ही उनकी इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है।'' डॉ. पॉल आगे कहते हैं - ''जन्म के समय कम वजन के शिशुओं को पर्याप्त दूध प्रदान करना बेहद जरूरी होता है। जिन नवजात शिशुओं की माताएँ किसी कारणवश उनको स्तनपान नहीं करा पाती हैं, उन शिशुओं को मानव दुग्ध बैंक से पाश्चराइज्ड (pasteurised) स्तन का दूध मिलता है। जिससे नवजात शिशुओं में किसी भी प्रकार के संक्रमण का जोखिम कम होता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।''
अस्पताल के अधिकारियों को स्तन के दूध को जमा करने से लेकर उसको प्रीज़र्व करके नवजात शिशुओं तक पहुँचाने तक, बेहद सफाई, सुरक्षा और सावधानी रखने के निर्देश हैं। साथ ही, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के साथ मिलकर जनरल अस्पताल में दूध बैंक के संचालन के लिए एक प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ प्रदान किया है।
मानव दुग्ध बैंक का अस्पताल में होना बेहद जरूरी होता है। जिन नवजात शिशुओं की माताएँ किसी कारणवश उनको स्तनपान नहीं करा पाती, ऐसे शिशुओं को मानव दुग्ध बैंक से ही स्तन का दूध सुनिश्चित कराया जाता है। राज्य सरकार के अनुसार लगभग 3,600 बच्चे सामान्य अस्पताल में एक साल में जन्म लेते हैं और 600 से 1,000 बीमार बच्चों को एनआईसीयू (Neonatal intensive care unit) में भर्ती किया जाता है।
The Human Milk Bank has been set up for those who don’t get breastmilk due to various issues, including the sickness of their mothers, deceased or insufficient production of breast milk, in the hospital: Milk bank in Kerala.
रोटरी कोचीन ग्लोबल की डॉ. पॉल पी जी कहती हैं - ''मानव दुग्ध बैंक में मिलने वाला स्तन का दूध नवजात शिशुओं को तमाम तरह के इन्फेक्शन से बचाता है और साथ ही उनकी इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है।'' डॉ. पॉल आगे कहते हैं - ''जन्म के समय कम वजन के शिशुओं को पर्याप्त दूध प्रदान करना बेहद जरूरी होता है। जिन नवजात शिशुओं की माताएँ किसी कारणवश उनको स्तनपान नहीं करा पाती हैं, उन शिशुओं को मानव दुग्ध बैंक से पाश्चराइज्ड (pasteurised) स्तन का दूध मिलता है। जिससे नवजात शिशुओं में किसी भी प्रकार के संक्रमण का जोखिम कम होता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।''
अस्पताल के अधिकारियों को स्तन के दूध को जमा करने से लेकर उसको प्रीज़र्व करके नवजात शिशुओं तक पहुँचाने तक, बेहद सफाई, सुरक्षा और सावधानी रखने के निर्देश हैं। साथ ही, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के साथ मिलकर जनरल अस्पताल में दूध बैंक के संचालन के लिए एक प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ प्रदान किया है।