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भोपाल रैगिंग केस में 4 दोषी छात्राओं को मिली पांच साल की सजा।

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Swati Bundela
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भोपाल रैगिंग केस : 5 फ़रवरी को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (district court) में, चार दोषी छात्राओं को रैगिंग के मामले में पाँच साल की सज़ा सुनाई गई। इन चार दोषी छात्राओं पर अपनी जूनियर की रैगिंग करके, उसको खुदखुशी के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था। बीते दिन हुआ यह फैसला एडिशनल सेशन जज अमित रंजन ने सुनाया ।

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भोपाल में रैगिंग का यह मामला साल 2013 का है। आरकेडीएफ की बी-फार्मा की छात्रा अनीता शर्मा ने रैगिंग से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी। और अनीता ने अपने सुसाइड नोट में अपनी चार सीनियर - दिव्यानशी शर्मा, कृति गौर, दीप्ति सोलंकी और निधि मागरे को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया था।



आठ साल बाद, इस मामले में बीते दिन भोपाल के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चारों दोषी छात्राओं को पाँच-पाँच साल की सज़ा सुनाई है। और साथ ही, दो-दो हजार का जुर्माना भी लगाया।
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अनीता ने सुसाइड नोट के ज़रिए बताया था अपना दुख



अनीता शर्मा आरकेडीएफ में दूसरे वर्ष की बी-फार्मा की छात्रा थी। प्राइवेट कॉलेज की यह छात्रा, कॉलेज में रैगिंग होने के कारण बेहद परेशान थी। और इन सब के चलते वर्ष 2013 में, अनीता शर्मा ने अपने
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निवास स्थान जीवन विहार सोसाइटी में सुसाइड कर ली।



रिपोर्ट की मानें तो अनीता की कॉलेज में शुरुवात से ही रैगिंग होती थी। और सीनियर द्वारा उनसे कई काम भी कराए जाते थे। अपने साथ होती रैगिंग को जब अनीता ने खुलकर अपने कॉलेज की अथॉरिटी को बताया तो उसे वहाँ से केवल निराशा ही हाथ लगी। और जवाब मिला कि उसे अपने सीनियर का कहा मानना चाहिए और इन सब चीजों के साथ जीने की आदत बना लेनी चाहिए। अपने सुसाइड नोट में अनीता ने लिखा - ''केवल मैं ही जानती हुँ कि कैसे मैंने आजतक इन चारों की रैगिंग को झेला है।'' इसी के साथ अपने सुसाइड नोट में अनीता ने दोषी छात्राओं के नाम भी लिखे थे।



रैगिंग के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए, अब हर संभव स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही, यूजीसी ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया है, जिसपर पीड़ित छात्र व छात्राएं बिना किसी संकोच के अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इन शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही की जाती है।
भोपाल रैगिंग केस
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