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तेलंगाना हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि विवाहित बेटियों को compassionate के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती है यदि वे अब अपने माता-पिता पर निर्भर नहीं है। Compassionate नौकरी तेलंगाना HC
https://twitter.com/timesofindia/status/1375079269685137409?s=20
“विवाहित महिलाओं को लाभ पाने के लिए एलिजिबल घोषित करना ठीक है। लेकिन यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि क्या ऐसी महिलाओं को इसकी ज़रूरत है।" एक महिला की दलील पर चीफ जस्टिस हेमा कोहली, और जस्टिस बी विजया का बयान। ये महिला compassionate grounds के तौर पर अपनी मां की नौकरी चाहती थी।
रंगा रेड्डी जिला अदालत के एक कर्मचारी की बेटी बन्दरी दिव्या ने याचिका दायर की थी। जिसने जॉब के लिए उसके एप्लीकेशन को अस्वीकार करने के डिस्ट्रिक्ट जज के निर्णय को चुनौती दी थी। उसकी मां बन्दरी स्वरूप रंगा रेड्डी जिला अदालत में एक प्रोसेस सर्वर के रूप में काम करती थी। गौर करने वाली बात ये है कि बन्दरी स्वरूप को भी सात साल पहले ये नौकरी अपने पति की मौत पर दया के आधार पर मिली थी।
अप्रैल 2020 में उनकी मृत्यु के बाद, उनकी बेटी दिव्या ने compassionate grounds के तौर पर नौकरी मांगी। हाई कोर्ट के स्टैंडिंग काउंसल नलिन कुमार ने तर्क दिया कि दिव्या ने नौ साल पहले शादी की थी और वह एक इंडिपेंडेंट लाइफ जी रही थी। दिव्या की बहन ने यह कहते हुए no-objection letter दिया कि नौकरी उसकी बहन को दी जा सकती है।
बैंच ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा दिया गया रिजेक्शन लैटर ठीक से नहीं लिखा गया था। बैंच ने रंगा रेड्डी के जिला जज को निर्देश दिया कि अब वह चार सप्ताह के भीतर फैसले के लिए एक कारण बताए। Compassionate नौकरी तेलंगाना HC
https://twitter.com/timesofindia/status/1375079269685137409?s=20
“विवाहित महिलाओं को लाभ पाने के लिए एलिजिबल घोषित करना ठीक है। लेकिन यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि क्या ऐसी महिलाओं को इसकी ज़रूरत है।" एक महिला की दलील पर चीफ जस्टिस हेमा कोहली, और जस्टिस बी विजया का बयान। ये महिला compassionate grounds के तौर पर अपनी मां की नौकरी चाहती थी।
एक महिला के केस में कोर्ट ने सुनाया ये फैसला :
रंगा रेड्डी जिला अदालत के एक कर्मचारी की बेटी बन्दरी दिव्या ने याचिका दायर की थी। जिसने जॉब के लिए उसके एप्लीकेशन को अस्वीकार करने के डिस्ट्रिक्ट जज के निर्णय को चुनौती दी थी। उसकी मां बन्दरी स्वरूप रंगा रेड्डी जिला अदालत में एक प्रोसेस सर्वर के रूप में काम करती थी। गौर करने वाली बात ये है कि बन्दरी स्वरूप को भी सात साल पहले ये नौकरी अपने पति की मौत पर दया के आधार पर मिली थी।
शादी के बाद अगर बेटी इंडिपेंडेंट लाइफ जी रही है तो उसे compassionate grounds के तौर पर नौकरी की ज़रूरत नहीं
अप्रैल 2020 में उनकी मृत्यु के बाद, उनकी बेटी दिव्या ने compassionate grounds के तौर पर नौकरी मांगी। हाई कोर्ट के स्टैंडिंग काउंसल नलिन कुमार ने तर्क दिया कि दिव्या ने नौ साल पहले शादी की थी और वह एक इंडिपेंडेंट लाइफ जी रही थी। दिव्या की बहन ने यह कहते हुए no-objection letter दिया कि नौकरी उसकी बहन को दी जा सकती है।
बैंच ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा दिया गया रिजेक्शन लैटर ठीक से नहीं लिखा गया था। बैंच ने रंगा रेड्डी के जिला जज को निर्देश दिया कि अब वह चार सप्ताह के भीतर फैसले के लिए एक कारण बताए। Compassionate नौकरी तेलंगाना HC