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एक टीचर संभाल रही 225 स्टूडेंट्स - यह न्यूज़ एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के बारे में है जहाँ उत्तर प्रदेश के शमली डिस्ट्रिक्ट में एक शिक्षा मित्र ही 225 बच्चों को संभाल रही हैं। पहले इस स्कूल में दो टीचर्स पढ़ाया करते थे और उस वक़्त कोरोना नहीं आया था। कोरोना के दौरान एक टीचर की डेथ हो जाती है और एक अभी छुट्टी पर है। यह बात डिस्ट्रिक्ट के पंचायत मेंबर उमेश कुमार ने बताई है।
शिक्षा मंत्री एक टीचर होता है जो कि प्राइमरी स्कूल में एजुकेशन बोर्ड द्वारा दिया जाता है। यह बच्चों की फ्री और जरुरी पढाई के रूल के अंतर्गत दिए जाते हैं इसके कारण से एक लौती शिक्षा मित्र ही स्कूल संभाल रही है। कोरोना के कारण से स्कूल की मैनेजमेंट बहुत ख़राब हो गयी है। अचानक से लॉकडाउन लगने के कारण से सालों से स्कूल बंद थे। छोटे छोटे गाओं और डिस्ट्रिक्ट के छोटे छोटे स्कूलों में तो इतनी व्यवस्था भी नहीं होती है कि बच्चे टेक्नोलॉजी और मोबाइल से पढ़ सकें।
कोरोना के कारण से बच्चों की पढाई में भारी नुकसान हुआ है। लगातार एक साल से ऊपर का गैप होने के कारण से बच्चे भी बहुत कुछ भूल गए हैं। छोटे बच्चों को तो इतनी समझ भी नहीं होती है कि कोरोना के कारण से क्या क्या हो रहा है। सरकारी स्कूल और टीचर की ऐसी हालत होना जहाँ एक टीचर 225 स्टूडेंट्स को संभाल रही है काफी गलत है और यहाँ जल्द ही और टीचर्स को अप्पोइंट करना चाहिए।
कोरोना के इस दौर में करीब 2 सालों से स्कूल कॉलेजों को बंद रखा गया। सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर असर हुआ है और स्कूल का एनवायरनमेंट न मिलने की वजह से कई बच्चों का भविष्य भी अँधेरे में पड़ गया है। धीरे धीरे अब सभी जगह स्कूल खुल रहे हैंइसलिए बच्चों को स्कूल भेजने से पहले खुद से प्रीकॉशन्स फॉलो करना और सेफ्टी से रहना सिखाना बहुत जरुरी है।
स्कूल और कॉलेजों को खोलने का निर्णय ले लिया गया है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कोरोना का खतरा टला गया है। बच्चों के पेरेंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि स्कूल कॉलेज खुल जाने से कोरोना का खतरा खत्म नहीं हुआ है, इसीलिए अपनी तरफ से बच्चों को पूरी तरह से तैयार रखें। उन्हें समझाएं कि मास्क लगाना कितना जरुरी है। मास्क से बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है।
बच्चों को सैनिटाइज़र रखने कि आदत डलवाएं। चाहें दोस्तों के साथ खेलने जाने पर, परिवार के साथ कहीं बाहर घूमने जाने पर, स्कूल या कोचिंग में भी हर बच्चे को अपना अलग सैनिटाइजर लेकर जाना है। सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन लगवाने को कंपल्सरी कर दिया है,लेकिन जल्द ही छोटे बच्चों के लिए भी वैक्सीन लगेगी। इसीलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों को मेंटली तैयार करें ताकि वो वैक्सीन को लेकर दरें न।
बच्चों को करीब डेढ़ साल बाद स्कूल जाने और कॉलेजों में पढ़ने को मिलेगा।इतने समय से ऑनलाइन पढ़ते हुए बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग में थे लेकिन अचानक से स्कूल-कॉलेजों के खुल जाने से ये मतलब नहीं कि सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो गयी है। बल्कि अपने बच्चों को घर से ही ट्रेनिंग देना शुरू करें।
Education In India: उत्तरप्रदेश के शमली में एक टीचर संभाल रही 225 स्टूडेंट्स
शिक्षा मंत्री एक टीचर होता है जो कि प्राइमरी स्कूल में एजुकेशन बोर्ड द्वारा दिया जाता है। यह बच्चों की फ्री और जरुरी पढाई के रूल के अंतर्गत दिए जाते हैं इसके कारण से एक लौती शिक्षा मित्र ही स्कूल संभाल रही है। कोरोना के कारण से स्कूल की मैनेजमेंट बहुत ख़राब हो गयी है। अचानक से लॉकडाउन लगने के कारण से सालों से स्कूल बंद थे। छोटे छोटे गाओं और डिस्ट्रिक्ट के छोटे छोटे स्कूलों में तो इतनी व्यवस्था भी नहीं होती है कि बच्चे टेक्नोलॉजी और मोबाइल से पढ़ सकें।
कोरोना के कारण से बच्चों की पढाई में भारी नुकसान हुआ है। लगातार एक साल से ऊपर का गैप होने के कारण से बच्चे भी बहुत कुछ भूल गए हैं। छोटे बच्चों को तो इतनी समझ भी नहीं होती है कि कोरोना के कारण से क्या क्या हो रहा है। सरकारी स्कूल और टीचर की ऐसी हालत होना जहाँ एक टीचर 225 स्टूडेंट्स को संभाल रही है काफी गलत है और यहाँ जल्द ही और टीचर्स को अप्पोइंट करना चाहिए।
कोरोना का बच्चों की पढ़ाई पर क्या असर हुआ है?
कोरोना के इस दौर में करीब 2 सालों से स्कूल कॉलेजों को बंद रखा गया। सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर असर हुआ है और स्कूल का एनवायरनमेंट न मिलने की वजह से कई बच्चों का भविष्य भी अँधेरे में पड़ गया है। धीरे धीरे अब सभी जगह स्कूल खुल रहे हैंइसलिए बच्चों को स्कूल भेजने से पहले खुद से प्रीकॉशन्स फॉलो करना और सेफ्टी से रहना सिखाना बहुत जरुरी है।
बच्चों को स्कूल के लिए ट्रैन कैसे करें?
स्कूल और कॉलेजों को खोलने का निर्णय ले लिया गया है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कोरोना का खतरा टला गया है। बच्चों के पेरेंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि स्कूल कॉलेज खुल जाने से कोरोना का खतरा खत्म नहीं हुआ है, इसीलिए अपनी तरफ से बच्चों को पूरी तरह से तैयार रखें। उन्हें समझाएं कि मास्क लगाना कितना जरुरी है। मास्क से बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है।
बच्चों को सैनिटाइज़र रखने कि आदत डलवाएं। चाहें दोस्तों के साथ खेलने जाने पर, परिवार के साथ कहीं बाहर घूमने जाने पर, स्कूल या कोचिंग में भी हर बच्चे को अपना अलग सैनिटाइजर लेकर जाना है। सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन लगवाने को कंपल्सरी कर दिया है,लेकिन जल्द ही छोटे बच्चों के लिए भी वैक्सीन लगेगी। इसीलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों को मेंटली तैयार करें ताकि वो वैक्सीन को लेकर दरें न।
बच्चों को करीब डेढ़ साल बाद स्कूल जाने और कॉलेजों में पढ़ने को मिलेगा।इतने समय से ऑनलाइन पढ़ते हुए बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग में थे लेकिन अचानक से स्कूल-कॉलेजों के खुल जाने से ये मतलब नहीं कि सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो गयी है। बल्कि अपने बच्चों को घर से ही ट्रेनिंग देना शुरू करें।