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जानिये पन्गा फिल्म में ऐसी बातों को जो तोड़ती हैं समाज की रूढ़ियों को

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Swati Bundela
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कंगना रनौत की आनेवाली फिल्म पन्गा बहुत जल्द रिलीज़ होनेवाली है । पन्गा एक हाउसवाइफ की कहानी है जो शादी के बाद अपने करियर को दोबारा शुरू करना चाहती है। पन्गा आजकल की महिलाओं की कहानी है जो शादी के बाद अपने जीवन को भूल जाती हैं और घर गृहस्थी में ही रह जाती हैं । पन्गा कहानी है एक गृहणी की जो शादी से पहले एक कबड्डी प्लेयर थी और शादी के बाद अपने पति की मदद और सपोर्ट से समाज से लड़ते हुए नेशनल लेवल कबड्डी खेलती हैं । पन्गा कहानी है अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने की और महिला सशक्तिकरण की ।आज शी दपीपल .टीवी पर हम आपको बताने जा रहे हैं पन्गा फिल्म में ऐसी कुछ मुख्य बातों के बारे में जो आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगी ।

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पन्गा कहानी है समाज की रूढ़ियों को तोड़ने की



जैसे की कहा जाता है की शादी के बाद एक लड़की का करीयर पूरी तरह से खत्म हो जाता है वहीं शादी के बाद इंडियन नेशनल कबड्डी टीम में खेलने का सपना देखना, अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है । शादी के बाद एक महिला जहां घर गृहस्थी की ज़िम्मेदारियों में ही बंधकर रह जाती है वहीं पन्गा इन सब रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है । पन्गा में कंगना जो एक गृहणी का किरदार निभा रही हैं अपने पति के सपोर्ट से अपने सपने को पूरा करने की तरफ कदम उठाती हैं ।

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दुनिया से लड़कर आगे बढ़ना



हम जब भी आगे बढ़ते हैं तो समाज और दुनिया हमे बहुत सी तकयानुसी बातें बोलकर पीछे खींचने की कोशिश करते हैं । समाज एक महिला को जो की एक गृहणी हैं सौ तरह की बाते बोलकर पीछे खींचने की कोशिश करता है और उसे अपना सपना पूरा करने से रोकता है यहाँ तक की सौ तरह के लांछन उस पर लगाए जाते हैं । पन्गा उन्ही सब रूढ़ियों और तकियानुसी बातों को किनारे करने के बारे में है ।

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लड़कियाँ कबड्डी खेल सकती हैं



भारत जैसे देश में पहले तो एक लड़की का स्पोर्ट्स में जाना ही बड़ी बात होती है और तो और स्पोर्ट्स में जाने के बाद कबड्डी जैसा खेल खेलना अपने आप में ही बड़ी बात है।  भारत में कबड्डी जैसे खेल के साथ यह मिथ है की लड़कियाँ कबड्डी नहीं खेल सकती । पन्गा इस रूडी को साफ़ तोर पर तोड़ती है की न सिर्फ लड़कियाँ कबड्डी खेल सकती हैं बल्कि अपने आपको इस खेल में बहुत आगे पहुँचा सकती हैं ।

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घर और करियर संभालना



महिलाओं से यह उम्मीद बिलकुल नहीं की जाती की वो अपने घर और करियर को अच्छे से संभाल पाएंगी। एक शादीशुदा स्त्री को बार -बार कठगरे में लाया जाता है और बार बार उसे ताने दिए जाते हैं की वो कभी अपना घर मैनेज नहीं कर पाएगी । या तो वो अपना घर संभाल पाएगी या करियर और उसमें इतनी शक्ति नहीं होगी की वो अपना घर संभालने के साथ कबड्डी जैसा गेम खेल पाएगी ।

माँ होने की ड्यूटीज याद दिलाई जाती हैं



एक बार यदि आप माँ बन जाती हैं तो समाज अक्सर चाहता है की आपका जीवन अपने बच्चे के ही इर्द गिर्द घूमे। समाज को यह समझना चाहिए की एक माँ के अपने भी कुछ सपने हो सकते हैं जिन्हें वो इसी जीवन में पूरे करना चाहती है। हमें बार बार उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास नहीं दिलाना चाहिए बल्कि इस जर्नी में उनकी मदद करनी चाहिए
एंटरटेनमेंट
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