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जज ने वकील को महिला को "कई बॉयफ्रेंड" होने का ताना देने पर चुप करवाया

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Swati Bundela
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बॉम्बे हाई कोर्ट में मुंबई के एक वकील ने डोमेस्टिक वायलेंस मामले में तर्क दिया कि महिला के कई बॉयफ्रेंड थे। इस पर, जज ने आपत्ति जताई और उसे लॉ पॉइंट्स पर टिकने के लिए कहा।

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रिपोर्ट्स के अनुसार मुंबई में एक बेटी के खिलाफ डोमेस्टिक वायलेंस का मामला उसकी मां ने दर्ज कराया था। लोअर कोर्ट द्वारा मामले को उठाया गया था। लेकिन बेटी हायर एजुकेशन हासिल करने के लिए देश छोड़ना चाहती थी इसलिए उसने लोअर कोर्ट में उसके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने के लिए कहा। इसलिए बेटी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कार्यवाही रद्द करने के लिए याचिका दायर की।

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बेटी के वकील केनी ठक्कर ने जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पितले के बेंच से कहा कि बेटी हायर एजुकेशन हासिल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती है, यही कारण है कि वह डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत मामले को कैंसिल करना चाहती है।



वकील ठक्कर ने यह भी कहा कि
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डोमेस्टिक वायलेंस मामले में उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसके बाद, मदर के पक्ष को दिखाने वाले वकील ने याचिका का विरोध किया। मां के वकील ने तब बयान दिया कि महिला के कई बॉयफ्रेंड होने के कारण वह शर्मिंदा है। एडवोकेट  ने कहा कि पिटीशनर के कई बॉयफ्रेंड थे।



इस तर्क के लिए, न्यायमूर्ति पिटले ने तुरंत माँ को रिप्रेजेंट करनेवाले एडवोकेट से कहा कि वह इस कथन की इस पंक्ति को यही रोक दें। उन्होंने आगे कहा कि यह पिटीशनर की पर्सनल लाइफ है। जज ने वकील का विरोध करते हुए लॉ पॉइंट्स पर अड़े रहने के लिए भी कहा। जज ने वकील से कहा, “यह क्या तर्क है? यह उसकी (याचिकाकर्ता) लाइफ है ... यह क्या तर्क है कि उसके कई बॉयफ्रेंड हैं? लॉ पॉइंट्स पर बहस करें। ”



अदालत ने तब कहा कि शिकायतकर्ता मां को खुश होना चाहिए क्योंकि आरोपी बेटी हायर स्टडीज के लिए उससे दूर जा रही है। बेंच 19 अप्रैल को अपने फैसले की घोषणा करेगी और अभी उन्होंने अपना फैसला रिज़र्व रख लिया है।
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