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मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल 2020 : Medical Termination Of Pregnancy (Amendment) Bill 2020 मंगलवार को राज्यसभा में पारित हो गया। यह बिल लोकसभा में पास होने के करीब 1 साल बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी पास हो गया है। इस बिल में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट-1971 में संशोधन का प्रावधान है।
आसान भाषा में समझा जाए तो यह बिल प्रेगनेंसी की स्थिति में गर्भपात से जुड़ा है। महिलाएं कितने समय के अंदर गर्भपात करा सकती है , इसको लेकर इस बिल में प्रावधान दिए गए हैं। सरकार ने इस विधेयक को महिलाओं की गरिमा के लिए अच्छा बताया है और कहा है कि महिलाओं के हित में यह एक बड़ा कदम है।
यह बिल गर्भावस्था के दौरान विशेष परिस्थिति में अबॉर्शन कराने से जुड़ा है। पिछले साल निचले सदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि गर्भपात की इजाज़त सिर्फ असाधारण परिस्थितियों के लिए है और इसके लिए इस बिल में पूरी सावधानी रखी गई है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी विधेयक में अबॉर्शन की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गयी है। इससे पहले अबॉर्शन की अधिकतम समयसीमा 20 हफ्ते तक की होती थीं। सरकार के मुताबिक, यह बदलाव महिलाओं को ध्यान में रख कर किया गया है।
विपक्ष ने संशोधन की सीमा और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनॉय विश्वम ने कहा, "इस विधेयक में, मेरी राय में, इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। इसे अधिक शक्तिशाली और अधिक सार्थक बनाने के लिए इसे ठीक कमेटी को भेजा जाना चाहिए।डिलीवरी से दूर रहने का महिलाओं का अधिकार बरकरार रखा जाना चाहिए। यह बिल सही नहीं है ... निर्णय लेना एक महिला का अधिकार है , मेडिकल बोर्ड का नहीं है। आखिरी फैसला महिला के पास होना चाहिए न कि बोर्ड के साथ। ”
आसान भाषा में समझा जाए तो यह बिल प्रेगनेंसी की स्थिति में गर्भपात से जुड़ा है। महिलाएं कितने समय के अंदर गर्भपात करा सकती है , इसको लेकर इस बिल में प्रावधान दिए गए हैं। सरकार ने इस विधेयक को महिलाओं की गरिमा के लिए अच्छा बताया है और कहा है कि महिलाओं के हित में यह एक बड़ा कदम है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अमेंडमेंट बिल क्या है ?
यह बिल गर्भावस्था के दौरान विशेष परिस्थिति में अबॉर्शन कराने से जुड़ा है। पिछले साल निचले सदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि गर्भपात की इजाज़त सिर्फ असाधारण परिस्थितियों के लिए है और इसके लिए इस बिल में पूरी सावधानी रखी गई है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी विधेयक में अबॉर्शन की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गयी है। इससे पहले अबॉर्शन की अधिकतम समयसीमा 20 हफ्ते तक की होती थीं। सरकार के मुताबिक, यह बदलाव महिलाओं को ध्यान में रख कर किया गया है।
विपक्ष बिल में बेहतर संशोधन की कर रहे है मांग
विपक्ष ने संशोधन की सीमा और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनॉय विश्वम ने कहा, "इस विधेयक में, मेरी राय में, इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। इसे अधिक शक्तिशाली और अधिक सार्थक बनाने के लिए इसे ठीक कमेटी को भेजा जाना चाहिए।डिलीवरी से दूर रहने का महिलाओं का अधिकार बरकरार रखा जाना चाहिए। यह बिल सही नहीं है ... निर्णय लेना एक महिला का अधिकार है , मेडिकल बोर्ड का नहीं है। आखिरी फैसला महिला के पास होना चाहिए न कि बोर्ड के साथ। ”