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मुनमुन सरकार ई-रिक्शा ड्राइवर : COVID-19 महामारी के कठिन समय के बीच, कुछ एम्बुलेंस ड्राइवर वायरस से संक्रमित मरीजों को ले जाने के लिए मोटी रकम वसूल रहे हैं, वही सिलीगुड़ी के शक्तिगढ़ की रहने वाली 49 वर्षीय महिला मुनमुन सरकार ने पीड़ितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।
उत्तर बंगाल की पहली महिला ई-रिक्शा ड्राइवर मुनमुन सरकार ने अपने ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में बदल दिया। वह COVID-19 रोगियों को 24 घंटे, मुफ्त सवारी प्रदान कर रही है।
ANI से बात करते हुए, उन्होंने कहा, "पिछले साल COVID-19 महामारी के समय, एम्बुलेंस ड्राइवर COVID-19 रोगियों के परिवार के सदस्यों से बहुत अधिक पैसे ले रहे थे। उस समय मैंने अपने ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में बदलने का फैसला किया। एम्बुलेंस से COVID पॉजिटिव रोगियों को मुफ्त में लाना ले जाना शुरू कर दिया।"
वह उन्हें अपने ई-रिक्शा में वापस उनके घर भी छोड़ देती है। मुनमुन COVID-19 रोगियों के घरों, और पुलिस थानों, श्मशानों और धार्मिक स्थलों जैसी जगहों को भी सैनिटाइज़ करती है।
उन्होंने कहा, "कोविड रोगियों को अस्पताल ले जाने के दौरान, मैंने महसूस किया कि कोविड से निपटने के लिए सैनिटाइजेशन महत्वपूर्ण है। तब किसी ने मुझे एक सैनिटाइजिंग मशीन गिफ्ट की, जिससे मेरा काम आसान हो गया।"
अब तक वह करीब 5,000 मरीजों को घर पहुंचा चुकी हैं। COVID रोगियों के अलावा, मुनमुन उन सभी को मुफ्त सवारी की पेशकश कर रही है जो COVID -19 के खिलाफ टीका लगवाना चाहते हैं या RT-PCR टेस्ट कराना चाहते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें COVID से डर नहीं लगता हैं, उन्होंने कहा: "मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं जो मेरे मरने के बाद भी याद रहे।"
मुनमुन के निस्वार्थ प्रयासों की सराहना करते हुए, देशबंधुपारा, सिलीगुड़ी निवासी एक COVID रोगी के भाई पार्थ पोद्दार ने कहा, "समाज को मुनमुन दी से सीखना चाहिए। दुनिया को उनके जैसे और लोगों की जरूरत है जो बिना किसी झिझक और किसी भी हालत में दूसरों की मदद कर सकें।"
फीचर इमेज क्रेडिट : Yahoo News India
मुनमुन सरकार ई-रिक्शा ड्राइवर ने COVID-19 रोगियों की मदद के लिए अपनी ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में बदला
उत्तर बंगाल की पहली महिला ई-रिक्शा ड्राइवर मुनमुन सरकार ने अपने ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में बदल दिया। वह COVID-19 रोगियों को 24 घंटे, मुफ्त सवारी प्रदान कर रही है।
ANI से बात करते हुए, उन्होंने कहा, "पिछले साल COVID-19 महामारी के समय, एम्बुलेंस ड्राइवर COVID-19 रोगियों के परिवार के सदस्यों से बहुत अधिक पैसे ले रहे थे। उस समय मैंने अपने ई-रिक्शा को एम्बुलेंस में बदलने का फैसला किया। एम्बुलेंस से COVID पॉजिटिव रोगियों को मुफ्त में लाना ले जाना शुरू कर दिया।"
वह उन्हें अपने ई-रिक्शा में वापस उनके घर भी छोड़ देती है। मुनमुन COVID-19 रोगियों के घरों, और पुलिस थानों, श्मशानों और धार्मिक स्थलों जैसी जगहों को भी सैनिटाइज़ करती है।
उन्होंने कहा, "कोविड रोगियों को अस्पताल ले जाने के दौरान, मैंने महसूस किया कि कोविड से निपटने के लिए सैनिटाइजेशन महत्वपूर्ण है। तब किसी ने मुझे एक सैनिटाइजिंग मशीन गिफ्ट की, जिससे मेरा काम आसान हो गया।"
अब तक करीब 5,000 मरीजों को घर पहुंचा चुकी हैं है मुनमुन :
अब तक वह करीब 5,000 मरीजों को घर पहुंचा चुकी हैं। COVID रोगियों के अलावा, मुनमुन उन सभी को मुफ्त सवारी की पेशकश कर रही है जो COVID -19 के खिलाफ टीका लगवाना चाहते हैं या RT-PCR टेस्ट कराना चाहते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें COVID से डर नहीं लगता हैं, उन्होंने कहा: "मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं जो मेरे मरने के बाद भी याद रहे।"
मुनमुन के निस्वार्थ प्रयासों की सराहना करते हुए, देशबंधुपारा, सिलीगुड़ी निवासी एक COVID रोगी के भाई पार्थ पोद्दार ने कहा, "समाज को मुनमुन दी से सीखना चाहिए। दुनिया को उनके जैसे और लोगों की जरूरत है जो बिना किसी झिझक और किसी भी हालत में दूसरों की मदद कर सकें।"
फीचर इमेज क्रेडिट : Yahoo News India