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कोरोना काल के समय में उन सभी लोगों की गिनती करना बहुत मुश्किल है जिन्होंने इस दौर में हर प्रकार से अपना सहयोग देने की कोशिश की है। कोविड-19 की रिसर्च में सबसे अहम सहयोग देने वाली रिन्टी बैनर्जी भी आईआईटी बॉम्बे में एक काफी अच्छी प्रोफेसर और रिसर्चर रही थीं। आइए जानते हैं रिंटी बैनर्जी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
रिंटी बैनर्जी आईआईटी बॉम्बे में एक काफी अहम प्रोफेसर और रिसर्चर रह चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना वायरस से जुड़ी सभी रिसर्च और इनोवेशन में एक अहम हिस्सा निभाया है और अपना बहुत बड़ा योगदान भी दिया है।
8 जुलाई को आईआईटी बॉम्बे में बायोसाइंस और बायो इंजीनियरिंग के डिपार्टमेंट की मृत्यु हो गई। उनके डिपार्टमेंट ने बनर्जी की काफी तारीफ करते हुए बताया कि वह एक बहुत ही अच्छी और प्रॉमिनेंट रिसर्चर और टीचर रह चुकी हैं। रिंटी बैनर्जी अपने पति और बेटे के साथ रहा करती थीं।
50 वर्षीय रिंटी बैनर्जी ने आईआईटी बॉम्बे में अपनी पीएचडी कंप्लीट की। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट डॉक्टर स्टडीज कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पूरी की।
बनर्जी को महामारी के दौरान हुई सभी रिसर्च का एक अहम हिस्सा माना गया और उन्होंने कई सारी चीजों के लिए सलूशन भी डिजाइन किया जो उनके हिस्से पर पेटेंट होने के लिए फाइल हो चुके हैं।
वह कोविड-19 के तीन रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। "वह बहुत ही उम्दा साइंटिस्ट और एक अच्छी इंसान भी थी।", टाइम्स ऑफ इंडिया को उनकी पीएचडी से संग सहेली सौम्या मुखर्जी ने बताया।
पिछले साल उनकी टीम जिसमें एक पीएचडी और 35 डॉक्टर रिसर्च साथ ही थे ने एक वाश रजिस्टर्ड बायोडिग्रेडेबल कोटिंग बनाई जोकि environment-friendly मास्क और ppe किट के लिए इस्तेमाल की जा सकती, इसका नाम दूरप्रोत टेक्नोलॉजी रखा गया जो वायरस और बैक्टीरिया को इन एक्टिव कर सकता था।
उनकी ब्रिलियंट रिसर्च के अलावा, बैनर्जी बायो मैटेरियल, नैनो मेडिसिन यू ड्रग डिलीवरी मैं भी एक्सपर्ट थी और उन्होंने इस पर अपने 100 से ज्यादा पेपर इंटरनेशनल जर्नल्स में छपवाएं हैं। उन्होंने कई सारे इंजीनियर को आईआईटी मुंबई में कई सारे टॉपिक्स पर इंट्रोडक्शन भी दिया है। उन्होंने यह इंस्टिट्यूट 2001 में ज्वाइन किया था जिसके बाद से वह इसका हिस्सा बनी रहीं।
आईआईटी बॉम्बे ने रिंटी बैनर्जी की मौत पर कहा,
रिंटी बैनर्जी आईआईटी बॉम्बे में एक काफी अहम प्रोफेसर और रिसर्चर रह चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना वायरस से जुड़ी सभी रिसर्च और इनोवेशन में एक अहम हिस्सा निभाया है और अपना बहुत बड़ा योगदान भी दिया है।
8 जुलाई को आईआईटी बॉम्बे में बायोसाइंस और बायो इंजीनियरिंग के डिपार्टमेंट की मृत्यु हो गई। उनके डिपार्टमेंट ने बनर्जी की काफी तारीफ करते हुए बताया कि वह एक बहुत ही अच्छी और प्रॉमिनेंट रिसर्चर और टीचर रह चुकी हैं। रिंटी बैनर्जी अपने पति और बेटे के साथ रहा करती थीं।
रिंटी बैनर्जी कौन हैं ?
50 वर्षीय रिंटी बैनर्जी ने आईआईटी बॉम्बे में अपनी पीएचडी कंप्लीट की। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट डॉक्टर स्टडीज कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पूरी की।
बनर्जी को महामारी के दौरान हुई सभी रिसर्च का एक अहम हिस्सा माना गया और उन्होंने कई सारी चीजों के लिए सलूशन भी डिजाइन किया जो उनके हिस्से पर पेटेंट होने के लिए फाइल हो चुके हैं।
वह कोविड-19 के तीन रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। "वह बहुत ही उम्दा साइंटिस्ट और एक अच्छी इंसान भी थी।", टाइम्स ऑफ इंडिया को उनकी पीएचडी से संग सहेली सौम्या मुखर्जी ने बताया।
पिछले साल उनकी टीम जिसमें एक पीएचडी और 35 डॉक्टर रिसर्च साथ ही थे ने एक वाश रजिस्टर्ड बायोडिग्रेडेबल कोटिंग बनाई जोकि environment-friendly मास्क और ppe किट के लिए इस्तेमाल की जा सकती, इसका नाम दूरप्रोत टेक्नोलॉजी रखा गया जो वायरस और बैक्टीरिया को इन एक्टिव कर सकता था।
उनकी ब्रिलियंट रिसर्च के अलावा, बैनर्जी बायो मैटेरियल, नैनो मेडिसिन यू ड्रग डिलीवरी मैं भी एक्सपर्ट थी और उन्होंने इस पर अपने 100 से ज्यादा पेपर इंटरनेशनल जर्नल्स में छपवाएं हैं। उन्होंने कई सारे इंजीनियर को आईआईटी मुंबई में कई सारे टॉपिक्स पर इंट्रोडक्शन भी दिया है। उन्होंने यह इंस्टिट्यूट 2001 में ज्वाइन किया था जिसके बाद से वह इसका हिस्सा बनी रहीं।