महिलाओं को डिप्रेशन का सामना करने पर मदद मांगने में शर्म क्यों आती है

अक्सर जब महिलाएं मेंटल डिस्टर्ब या डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याएं झेल रही होती हैं तो वो किसी से सहायता नहीं मांग पाती हैं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए मदद मांगते समय शर्मिंदगी का अनुभव होता है। आइये जानें क्यों-(Image Credit-Unsplash)

सामाजिक कलंक

डिप्रेशन सहित मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को अक्सर कई समाजों में कलंकित किया जाता है। अगर महिलाएं अपने मानसिक स्वास्थ्य से जूझने की बात स्वीकार करती हैं तो उन्हें "कमजोर" या "पागल" करार दिए जाने का डर होता है। यह कलंक उन्हें मदद मांगने से रोकता है।(Image Credit-Unsplash)

लिंग मानदंड और अपेक्षाएँ

महिलाओं की सामाजिक अपेक्षाओं में अक्सर मजबूत होना, पोषण करना और आत्म-त्याग करना शामिल होता है। असुरक्षा को स्वीकार करना या मदद की ज़रूरत को इन मानदंडों के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है, जिससे शर्म की भावना पैदा होती है।(Image Credit-Unsplash)

कमजोरी समझा जाना

कुछ महिलाएं इस विचार को अपने अंदर समाहित करती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए मदद मांगना कमजोरी का संकेत है। यह धारणा उन्हें अपने संघर्षों और सहायता की आवश्यकता पर शर्मिंदा महसूस करा सकती है।(Image Credit-Unsplash)

सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास

सांस्कृतिक या धार्मिक विश्वास कभी-कभी इस विचार को सुदृढ़ करते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व्यक्तिगत विफलता या विश्वास की कमी का परिणाम हैं। इससे मदद मांगते समय अपराधबोध और शर्मिंदगी की भावना पैदा होती है।(Image Credit-Unsplash)

फैसले का डर

महिलाओं को इस बात की चिंता होती है कि डिप्रेशन के लिए मदद मांगने से उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्हें परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों या यहां तक कि मेडिकल सपोर्ट लेने से फैसले का डर हो सकता है।(Image Credit-Unsplash)

मातृत्व और देखभालकर्ता की भूमिकाएँ

जो महिलाएँ माँ हैं या प्राथमिक देखभालकर्ता हैं। उन्हें और ज्यादा शर्म महसूस होती है क्योंकि उनका मानना ​​है कि दूसरों की देखभाल करते समय उन्हें अपने मेंटल हेल्थ को मैनेज करना खुद आना चाहिए।(Image Credit-Unsplash)

नकारात्मक अनुभव

अगर किसी महिला को अतीत में मदद मांगने के नकारात्मक अनुभव हुए हैं जैसे कि डॉक्टर्स द्वारा खारिज कर दिया जाना या गलत समझा जाना तो यह शर्म की भावना और दोबारा मदद मांगने में अनिच्छा पैदा कर सकता है।(Image Credit-Unsplash)