Divorce के बाद Co-Parenting कैसे की जाएं

डायवोर्स एक नेगेटिव टर्म मानी जाती है। जब एक महिला डाइवोर्स की बात करती है सीधा उसके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। आइए जानते हैं कि तलाक के बाद पेरेंट्स साथ में बच्चों की परवरिश कैसे कर सकते हैं। डाइवोर्स से बच्चे की लाइफ पर असर नहीं पढ़ना चाहिए। उसे मां और पिता दोनों का प्यार मिलना चाहिए। (Image Credit: Pinterest)

बच्चों को पहल

पार्टनर्स के लिए बच्चा पहल होना चाहिए क्योंकि एक बार बच्चा मां-बाप के प्यार से वंचित रह गया तो सारी उमर उसे इस बात के लिए दुख रहेगा। पार्टनर्स के बीच जो भी कनफ्लिक्ट हो, उसे साइड में रखकर बच्चों की वेलबींइग के लिए सोचना चाहिए। (Image Credit: Pinterest)

खर्च शेयर होने चाहिए

Co-parenting में बच्चों के खर्चे का बोझ सिर्फ एक पैरेंट का नहीं होना चाहिए। दोनों को मिलकर उसके खर्च उठाने चाहिए जैसे नॉर्मल पेरेंट्स करते हैं। जैसे एक पैरेंट बच्चों की पढ़ाई और हेल्थ का खर्चा उठा सकता है दूसरा उसके बाकी खर्चों की तरफ देख सकता है। (Image Credit: Pinterest)

शेड्यूल

बच्चों को कब और कैसे मिलना है, इसका एक शेड्यूल होना चाहिए। जिससे बच्चों को यह महसूस न हो कि पैरंट्स अलग रहते हैं या मेरे पेरेंट्स बाकी बच्चों के पेरेंट्स जैसे क्यों नहीं है। (Image Credit: Pinterest)

दूसरे पेरेंट्स की इज्जत करना

ऐसा नहीं है कि आप बच्चों के मन में दूसरे पैरेंट के खिलाफ जहर भरना शुरू कर दे। वह आपका ex हो सकता है लेकिन पेरेंट्स, ex कभी भी नहीं होते। बच्चे को दोनों की ही जरूरत पड़ती है। (Image Credit: Pinterest)

बाउंड्रीज का होना बहुत जरूरी

ऐसे रिश्ते में बाउंड्रीज का होना बहुत जरूरी है। आप पार्टनर के साथ खुलकर बातचीत कर सकते हैं कि हम इस लिमिट तक एक दूसरे के साथ बच्चे की परवरिश करेंगे। उसके बाद आप मेरी पर्सनल स्पेस में एंटर नहीं कर सकते। डिवोर्स के कई रीजंस हो सकते हैं और जब पेरेंटिंग के कारण आपके पार्टनर से दोबारा मिलना पड़ता है तो इससे उन चीजों में वापस जाने के चांसेस आ सकते हैं। (Image Credit: Pinterest)