Periods Talks: डायटिंग से होता है पीरियड साइकिल प्रभावित?
डायटिंग से पीरियड साइकिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर जब आहार संतुलित न हो या अत्यधिक सख्त हो। तो आइए जानते है डायटिंग का पीरियड साइकिल पर 7 प्रभाव–
डायटिंग से पीरियड साइकिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर जब आहार संतुलित न हो या अत्यधिक सख्त हो। तो आइए जानते है डायटिंग का पीरियड साइकिल पर 7 प्रभाव–
डायटिंग की वजह से शरीर में कैलोरी की मात्रा कम होती है, जो शरीर की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाता। साथ ही इसके कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन घट सकता है, पीरियड साइकिल में अनियमित बना देता है।
पीरियड्स के लिए शरीर को जरूरी विटामिन और मिनरल्स की जरूरत होती है। इनकी कमी से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्मोन के निर्माण और संतुलन में मदद करते हैं।
जब कोई व्यक्ति बहुत सख्त डायटिंग करता है, तो यह शरीर के लिए एक तनावपूर्ण स्थिति बन जाती है। डायटिंग से मानसिक रूप से तनाव और चिंता भी बढ़ सकती है जो पीरियड्स को अनियमित करता है।
महिलाओं में Fat tissue एस्ट्रोजन के उत्पादन में सहायक होते हैं। अत्यधिक वजन घटाने से Fat का लेवल बहुत कम हो सकता है, जिससे एस्ट्रोजन का उत्पादन भी कम हो जाता है।
जब व्यक्ति लंबे समय तक सख्त डायटिंग या वजन घटाने में लगा होता है उसकी वजह से पीरियड्स पूरी तरह से खो देता है, तो इसे अमेनोरिया होने का खरता होता है।
पोषक तत्वों की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है, जिससे मासिक धर्म के दौरान दर्द बढ़ सकता है साथ ही थकान और कमजोरी भी मेहसूस होती है।
अचानक और अत्यधिक वजन कम करने की बजाय धीरे-धीरे और संतुलित रूप से वजन कम करना पीरियड्स को बनाए रखने में मददगार होता है।
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