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इंस्पिरेशन
सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले ने मिलकर देश के सबसे पहले गर्ल्स स्कूल को बनाया था और कुल 18 स्कूल का निर्माण किया था।सावित्रीबाई भारत के पहले बालिका विद्यालय (Girls School) की पहली प्रिंसिपल बनी।
प्राजक्ता कोली: जानिए इस Influencer-Turned-Actor के बारे में
यदि आप सोशल मीडिया पर व्लॉगर्स (vloggers) को फॉलो करने वाले इंसान हैं, तो संभावना है कि आप भारत की…
मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कोई मेरे बारे में क्या सोचता है – मल्लिका दुआ
मलिका दुआ ने अपने इंडस्ट्री के एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि “likeable women की डेफिनेशन हमारे समाज में बहुत अलग है। अगर आप अपना पॉइंट ऑफ़ व्यू एक्सप्रेस करते हो तो आप likable women की कैटेगरी में नहीं आते ,तब आप ‘difficult’ कहलाती है।
मेरे लिए खुद को पसंद करना ज़्यादा ज़रूरी है – विद्या बालन
हमारे समाज में ऐसी कई महिलाएं है जो बड़ी ही बेबाक़ी से अपने और दूसरों के लिए आवाज़ उठाती है, अपना पॉइंट ऑफ़ व्यू रखती है। ये सभी महिलाएं वो हैं , जिन्होंने हम सबको प्रेरणा देने का काम किया है।स्वरा भास्कर और विद्या बालन उन महिलाओं में से एक है।
हर कामयाब औरत के पीछे एक औरत का हाथ होता है
ज़रूरी नहीं कि हर कामयाब औरत के पीछे सिर्फ आदमी का ही हाथ हो , एक महिला की कामयाबी का श्रेय उनके जीवन की अन्य महिलाओं को भी जाता है।
क्या आप अपनी बेटी को सेक्स एजुकेशन देना चाहती हैं ?
मूवी देखते समय या मूवी देखने के बाद आप मूवी सीन को अपनी बेटी के साथ डिस्कस कर सकती हैं। इससे वो अपने व्यूज़ भी बताएगी और उसे ये लेक्चर की तरह नही लगेगा।
क्या आप रोज़मर्रा के जीवन में खुश रहना चाहते हैं ?
थोड़ी थोड़ी गार्डनिंग करना शुरू करें । इससे सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि धरती को भी ख़ुशी मिलेगी । पौधों के आस-पास रहने में ख़ुशी मिलती है ।
4 महिलाएं जिन्होंने भारत में Women’s Education को बढ़ावा दिया
सावित्री बाई फुले इंडिया के सबसे पहले गर्ल्स स्कूल की पहली महिला टीचर रहीं । उनके पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर सावित्री जी ने अपना सारा जीवन lower caste और महिलाओं को सशक्त करते करते बिताया ।
कॉर्नेलिया सोराबजी : भारत की पहली महिला लॉयर के बारे में जानें
उन्होंने भारत और ब्रिटेन में लॉ की प्रैक्टिस करने वाली पहली भारतीय फीमेल बनकर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
जानिए पर्वतारोही संतोष यादव के बारे में कुछ ख़ास बातें
1992 में पहली बार संतोष माउंट एवेरेस्ट के शिखर तक पहुंची और 1993 में फिर उन्होंने इस इतिहास को दोहराया और फिर से माउंट एवेरेस्ट के शिखर पर जा पहुँची ।